पुणे कोरेगांव घटना : जातीय हिंसा को लेकर पालघर रहा बंद , भीम सैनिकों ने किया प्रदर्शन
मुंबई, 03 जनवरी, : पुणे के कोरेगांव में हुई जातीय संघर्ष की आग बुधवार को पालघर में उग्र हो गई। पालघर जिलेभर में ट्रेन, बस, ऑटो व अन्य यातायात सेवाएं ठप्प होने के साथ ही कई जगहों पर पथराव की घटनायें सामने आई हैं। सबसे ज्यादा परेशानी लोकल से सफर करने वाले यात्रियों को तब उठानी पड़ी जब उन्हें घर से निकलने के बाद आधे रास्ते से ट्रैक पकड़कर वापस लौटना पड़ा। सिटी पुलिस, आरपीएफ एवं आरसीपी के सुरक्षाकर्मियो की तैनाती से स्टेशन परिसर, चौराहे, सड़के पुलिस छावनी में तब्दील रहीं। जगह जगह बड़ी संख्या में भीम सैनिकों ने सरकार विरोधी नारे लगाये। शहरों से लेकर ग्रामीण भागों तक इस जातीय हिंसा का व्यापक असर देखने को मिला। इस दौरान दुकानें, मॉल व अन्य प्रतिष्ठान पूर्ण तरह बंद रहे। हालांकि अस्पताल व मेडिकल सेवाएं बहाल थीं।
बुधवार की सुबह एक ऒर नौकरी पेशा वाले लोग अपने ऑफिस, दुकानों के लिए निकले थे, तो दूसरी तरफ आंदोलनकारी उनकी राह रोकने के लिए बड़ी संख्या में तैयार थे। आंदोलनकारियों ने मुंबई की लाइफ लाइन कही जाने वाली लोकल ट्रेनों का संचालन विरार- नालासोपारा स्टेशन पर सुबह साढ़े नौ बजे से साढ़े दस बजे तक पूरी तरह ठप्प कर दिया। इस दौरान दर्जन भर ट्रेनें ट्रैकों पर एक के पीछे एक रोक दी गईं। पीक ऑवर्स होने की वजह से हजारों यात्री ट्रेनों में फंसे रहे।
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काफी समय बाद भी स्थिति नियंत्रण न होते देख आख़िरकार यात्रियों को ट्रैक से पैदल चलकर घर लौटना पड़ा। इस दौरान ट्रैक पर बैठे बड़ी संख्या में भीम सैनिक सरकार विरोधी नारे लगा रहे थे। आंदोलन की आग और न बढ़े इसके मद्देनजर पुलिस प्रशासन ने पहले से ही कड़ा बंदोबस्त कर रखा था। जैसे ही सूचना मिली कि आंदोलनकारी विरार – नालासोपारा के पास पटरियों पर उतरकर ट्रेनें रोक रहे हैं, तुरन्त आरपीएफ के जवान, स्थानीय पुलिस स्टेशन के पुलिसकर्मी एवं आरसीपी के टीम मौके पर पहुंचकर आंदोलनकारियों को ट्रैक से हटाने का काम किया। इस दौरान डीवायएसपी, दत्ता तोटेवाड़ जयंत बजबजे, पुलिस निरीक्षक भरत जाधव, पुलिस निरीक्षक युनूस शेख़ सहित आरपीएफ के अधिकारीयों ने मोर्चा सम्भाल कर रखा था। हालांकि दोपहर से कुछ सेवाएं बहाल हो सकीं।
आंदोलन के दौरान बुधवार की सुबह से ही जिलेभर में यातायात सेवाएं भी नदारद रहीं। आंदोलनकारी भीम सैनिकों ने बस, ऑटो व अन्य वाहनों पर पूरी तरह रोक लगा दी। बस और ऑटो बंद होने से लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। इसका ज्यादा असर ग्रामीण इलाकों में देखने को मिला, क्योंकि यहां यातायात व्यवस्था पूरी तरह बस व ऑटो पर ही निर्भर है।
जातीय हिंसा को लेकर जिलेभर में मॉल दुकानें व स्कूल भी बंद रहे। आंदोलनकारियों के उग्र आंदोलन को देखते ही शहर की सभी दुकानें, मॉल पूरी तरह बंद कर दिए गए। हालांकि सड़कों पर पुलिस के जवान तैनात थे, लेकिन दुकानदारों ने सुबह से ही अपनी अपनी दुकानें बंद रखी। (हि. स.)।