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सूर्य ग्रहण का क्या है धार्मिक महत्व .

धर्म =:देखा जाय तो प्राचीन धर्मशास्त्रों में ग्रहण को बहुत ही महत्व दिया गया है सूर्य ग्रहण के विषय में वैदिक, पौराणिक, एवं ज्योतिषीय सहित वैज्ञानिक मत प्राप्त होते हैं। ऋग्वेद के अनुसार यह ज्ञान अत्रिमुनि को था, पौराणिक ग्रंथों के अनुसार मत्स्यपुराण, देवीभागवत आदि पौराणिक ग्रथों में सूर्य ग्रहण के विषय में दान, जप, स्नान, तथा मानव जीवन में उसके पड़ने वाले प्रभाव के विषय में वर्णित किया गया है। साथ ही कई स्थानों में सूर्य ग्रहण के समय करने न करने वाले कार्यों का बड़ा विस्तृत विवेचन मिलता है, तथा गर्भवती स्त्री के संबंध में, बच्चों के संबंध मे तथा रोगी व बीमारों के संबंध में, करणीय अकरीय तथ्यों का पता चलता है।साथ ही धर्मशास्त्रों कहा गया है कि ग्रहण में किया गया सभी दान भूमि दान तुल्य, समस्त ब्राह्मण ब्रह्म के समान और समस्त जल गंगाजल के बराबर होता है।

इन्दोर्लक्षगुणं पुण्यं रवेर्दशगुणं तु तत:।

गंगादि तीर्थ सम्प्राप्तौ प्रौक्तं कोटिगुणं भर्वे।।

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