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अकाल के समय का बिजली बिल सख्ती से वसूल रही है महावितरण

मुंबई, 26 दिसंबर (हि.स.)। मराठवाड़ा में सन् 2015 से लगातार तीन वर्ष तक अकाल की स्थिति बनी रही और अब महावितरण इस अकाल को न मानते हुए किसानों से अकाल के समय कृषिपंप के प्रयोग करने की बात करते हुए सख्ती से बिजली बिल की वसूली कर रही है। यह बिल नहीं भरने पर किसानों का विद्युत कनेक्शन काट दिया जा रहा है।

मराठवाड़ा में तीन वर्ष तक अकाल की स्थिति बने रहने से नदी, नाले और कुएं के अलावा बांध तक में पानी नहीं रह गया था। उस समय का बिजली बिल महावितरण ने किसानों को भेजा है और उस समय के बिल को भी सख्ती से वसूला जा रहा है। बताया जाता है कि केज तहसील के सादोला गांव के किसान शरद इंगले ने बीस एकड़ में गन्ना लगाया है। बांध इस समय सौ प्रतिशत भरा हुआ है, पर वे गन्ने की सिंचाई नहीं कर सकते क्योंकि महावितरण ने उनके विद्युत कनेक्शन को काट दिया है। इसी तरह सादोला गांव के किसान सतीश शिंदे को महावितरण ने डेढ़ लाख रुपये से अधिक का बिल भेजा है। 

महावितरण ने बिल तो भेज दिया है, इस पर किसान शिंदे का कहना है कि हमारा विद्युत पंप तो साढ़े तीन वर्ष तक बंद था। उस समय का यह विद्युत बिल कैसे भरा जाए। जब बांध में पानी नहीं था और फसलें पीली पड़ गई थीं। अब पानी की मात्रा बहुतायत में है। पर पानी को खेत तक लाने के लिए विद्युत कनेक्शन नहीं है। बिल में मूल रकम तो कम व्याज की रकम ज्यादा है। उल्लेखनीय है कि राज्य के 38 लाख ग्राहकों का विद्युत बिल महावितरण की सूची में बकाया है। 31 मार्च 2017 तक महावितरण का कुल बकाया दस हजार 890 करोड़ रुपये है। ब्याज सहित यह रकम लगभग 19 हजार करोड़ रुपये हो चुकी है। महावितरण ने राज्य के कृषि पंप की बकाया रकम वसूलने के लिए नवम्बर में मुख्यमंत्री कृषि योजना का शुभारंभ किया। इस योजना के तहत तीन हजार रुपये भरकर कोई भी किसान इसका लाभ उठा सकता था। पर किसानों का कहना है कि जिस बिजली का उन्होंने उपयोग नहीं किया है, वे उसे भरें कैसे?

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