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अग्रेंजो से प्रभावित है भारत का इतिहास, बदलने की जरूरत: हृदय नारायण

लखनऊ, 14 अप्रैल (हि.स.)। लखनऊ विश्वविद्यालय के डीपीए सभागार में शुक्रवार को स्वदेशी जागरण मंच की ओर से डॉ. भीमराव अम्बेडकर के 126वें जयंती के मौके पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस मौके पर नेशनल रिसर्च प्रोफेसर डा. अशोक मोडक की पुस्तक डा.बाबा साहेब अंबेडकर और भारतीय एकात्मता का लोकार्पण विधानसभा के अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने किया।

हृदय नारायण दीक्षित ने अपने सम्बोधन कहा कि हमारे देश में अनेक बुद्धीजीवी है। देश में सभी अपने आप को बुद्धिमान समझते है। उन्होंने कहा कि ऐसे ही कुछ लोग अंग्रेजो से प्रभावित थे जिन्होंने भारत का गलत इतिहास लिखा। आज उसी को पढ़ाया जा रहा है। जिसे बदलने का समय आ गया है। इन बद्धिजीवियों के अनुसार आर्य भारत के नहीं थे और वे बाहर से आये थे। जबकि बाबा साहेब ने अपने पुस्तक में इसको स्पष्ट किया है कि आर्य ने कभी भी ऐसा कुछ नही बोला या लिखा जिससे ऐसा लगे कि आर्य भारत से नहीं थे। वे भारत को अपनी माता कहते थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि मैं इतिहास का विद्वान नहीं हूँ पर मैं इतिहास का प्रशंसक हूँ।

उन्होंने कहा कि अम्बेडकर के जीवन में एक समय ऐसा भी आया जब उन्होंने धर्म परिवर्तन करने का निर्णय लिया था। साथ ही उन्होंने किसी भी धर्म को आहत न पहुंचे इसका विशेष ध्यान दिया।

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उन्होने कहा कि आज का भारत हमारे पूर्वजों व राजनेताओं के त्याग व बलिदान की देन है। आज भारत शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में पूरे विश्व में तेजी से उभर रहा है। जो पुराने दौर में कल्पना की गयी थी।
दीक्षित ने कहा कि बाबा साहेब ने अनेक यातनाएं झेली थी। परन्तु राष्ट्र के प्रति उनकी प्रेम भावना व मुश्किलों में हार न मानना आज उनको महान व्यक्तित्व का मनुष्य बनाता है।

इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष दीक्षित नें कहा कि मैं राजनेता हूँ। मैं वोट जानता हूँ और कहा कि वोट नहीं पाया होता तो आज यहा मुझे नहीं बुलाया गया होता। उन्होंने कहा कि जबसे मै विधानसभा अध्यक्ष बना हूँ मुझे कार्यक्रमों का निमंत्रण अधिक मिलने लगा है। लेकिन राजनेता मालाओं से प्रसन्न होते है।

उन्होने कहा कि भारत तकनीक में तो विकसित हो रहा है, परन्तु उसका उचित इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है। भारत में जातिगत ऊंच-नीच की खाई भी बढ़ी है। जो चिन्ता का विषय है। आज भारत का योग, आयुर्वेद विदेशों में प्रचलित हो रहा है ऐसे में भारत को भी दूसरे देशों से अच्छाईयों को लेना चाहिए।

इस दौरान प्रोफेसर अशोक मोडक ने कहा कि मोदी सरकार ने बाबा साहेब अम्बेडकर के पाँच स्थानों पर स्मारक बनानें का संकल्प लिया है। जिससे अगली पीढ़ी प्रेरणा ले सके। उन्होंने कहा यदि हम बाबा साहेब के जीवन का अनुसरण नहीं करते है तो ये हमारी सच्ची श्रद्धा नही हो सकती।

इस दौरान उत्तर प्रदेश राजर्षि टण्डन विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एम.पी. दुबे ने कहा कि मनुष्य की मृत्यु बाद के तीन चरण होते है। पहले चरण में उसकी खूब तारीफ होती है। दूसरे में व्यक्ति की आलोचना होती है और तीसरे चरण में उसके व्यक्तित्व का मूल्यांकन होता है। यह दौर बाबा साहेब के तीसरा चरण है। कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन लोक प्रशासन विभाग के प्रोफेसर डा. मनोज दीक्षित ने किया। इस मौके पर डा. राकेश द्विवेदी, अजय कुमार, सुरेश नागर, ने भी अपने विचार व्यक्त किये।

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