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एसआईटी के सामने पेश हुए आजम, सरकार पर लगाया अपमानित करने का आरोप

लखनऊ, 22 जनवरी (हि.स.)। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खां सोमवार को जल निगम की 1300 भर्तियों में धांधली के मामले में सोमवार को विशेष जांच प्रकोष्ठ (एसआईटी) के सामने पूछताछ के लिए पहुंचे। इस दौरान उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि सरकार कुछ करे या ना करें, कम से कम चोरों की फेहरिस्त में मेरा नाम तो आ गया। उन्होंने कहा कि इतना तो सरकार अपमानित कर चुकी है, इससे ज्यादा अपमान क्या करेंगे। 

बताया जा रहा है कि एसआईटी ने आजम और पूर्व नगर विकास सचिव एसपी सिंह को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ की। पूछताछ के बाद आजम ने कहा कि जल निगम विभाग ने ये भर्तियां की थीं और मेरा इससे कोई वास्ता नहीं है। आजम से पूछताछ स्वयं एसआईटी के पुलिस अधीक्षक नागेश्वर सिंह ने की।

इस मामले में एसआईटी पूर्व नगर विकास सचिव एसपी सिंह और ओएसडी आफाक से पहले पूछताछ कर चुकी है। इसके बाद आजम को पूछताछ के लिए हाजिर होने को लेकर बीती 16 जनवरी को नोटिस जारी किया गया था। 

एसआईटी अब तक इस मामले में एक दर्जन अधिकारियों के बयान दर्ज कर चुकी है। दरअसल अखिलेश सरकार में जल निगम प्रबंधन ने इन 1300 नियुक्तियों में 122 सहायक अभियन्ता, 853 अवर अभियन्ता, 335 नैतिक लिपिक और 32 अशुलिपिक की भर्ती की थी। यह भर्ती विधानसभा चुनाव से ठीक पहले हुई थी और इसमें धांधली के आरोप लगे थे। आजम खां तब नगर विकास मंत्री होने के साथ ही जल निगम के अध्यक्ष पद पर भी काबिज थे।

कुछ अभ्यर्थी इस भर्ती पर सवाल उठाते हुए हाई कोर्ट चले गये थे। जहां उनकी याचिका के आधार पर हाई कोर्ट के निर्देश पर निगम के अधीक्षण अभियंता स्तर के एक अधिकारी से जांच करायी गयी। इसके बाद इस मामले में व्यापक पैमाने पर अनियमितता बरते जाने की पुष्टि हुई। बाद में योगी आदित्यनाथ सरकार ने मामले की जांच एसआईटी को सौंप दी।

एसआईटी ने अपनी प्राथमिक जांच रिपोर्ट के बारे में शासन को अवगत कराया था। एसआईटी ने बीते दिसम्बर में कहा था कि अभी तक सहायक अभियंता, अवर अभियंता (विद्युत/यांत्रिक), नैतिक लिपिक और आशुलिपिक की भर्ती प्रक्रिया में अनियमितता बरते जाने की पुष्टि हुई है। 122 पदों पर सहायक अभियंताओं की भर्ती को खुद जल निगम ने रद्द कर दिया था। जबकि अवर अभियंता (सिविल) के 727 पदों और अवर अभियंता (विद्युत/यांत्रिक) के 126 पदों पर भर्ती के लिए अपनाई गई प्रक्रिया में भी अनियमितता के साक्ष्य उसके हाथ लगे।
इसी तरह नैतिक लिपिक के 335 पदों पर की गई भर्ती की जांच अभी जारी थी, जबकि आशुलिपिक के 63 पदों पर भर्ती की भी प्रक्रिया की गई थी, जिसमें से 32 अभ्यर्थियों का चयन किया गया था। हालांकि जल निगम ने बिना कारण बताए ही आशुलिपिक की भर्ती को रद्द कर दिया था।

इसे शासकीय क्षति मानते हुए इस प्रकरण की भी जांच की बात एसआईटी ने कही थी। इस मामले में जलनिगम के तत्कालीन एमडी पीके आशुदानी से लेकर भर्ती प्रक्रिया में शामिल रहे मुख्य अभियंता स्तर के अधिकारी अनिल कुमार खरे, प्रमोद कुमार सिन्हा, राजीव निगम, गिरीश चंद्र व राम सेवक शुक्ला आदि लोगों से पूछताछ कर चुकी है। भर्ती प्रक्रिया करने वाले एपटेक कंपनी से भी भर्ती के संबंध में दस्तावेज प्राप्त हो चुके हैं।

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