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जीरो लागत में कृषि के प्रोत्साहन से किसान होगा खुशहाल-योगी आदित्यनाथ

लखनऊ, 20 दिसम्बर (हि.स.)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राजधानी के डॉ. भीमराव अम्बेडकर केन्द्रीय विश्वविद्यालय में आयोजित शून्य लागत प्राकृतिक कृषि शिविर में कहा कि प्रदेश की 22 करोड़ की आबादी में से ज्यादातर संख्या कृषि पर आधारित है। कृषि से सबसे ज्यादा रोजगार मिलता है। जीरो लागत में अगर कृषि को प्रोत्साहित कर दिया जाए तो किसान खुशहाल होगा। उन्होंने कहा कि खेती में रसायन के इस्तेमाल की शुरुआत पंजाब से हुई। वहां खेती में जहरीले तत्त्वों में रसायन और उर्वरक का इस्तेमाल हुआ। वह चिंता का सबब बना हुआ है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विदेशों के हिसाब से भारत में खेती की कोई व्यवस्था नहीं है। भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कह रहे हैं कि खेती की आय को दोगुना करना है। यह तभी सम्भव है जब भारत की परम्परागत खेती को अपनाया जाए और रसायनों से दूर रहा जाए। उन्होंने कहा कि रोजगार का सबसे बड़ा माध्यम खेती है। 

मुख्यमंत्री ने बुन्देलखण्ड के किसानों की समस्या का जिक्र करते हुए कहा कि वहां का किसान अन्ना प्रथा से परेशान हैं। इस सम्बन्ध में कार्ययोजना तैयार की गई है। भारत के समाज में गौ माता के प्रति श्रद्धा का भाव बनाना है तो सबसे पहले उन क्षेत्रों में गौ अभ्यारण्य की व्यवस्था करनी होगी। विशुद्ध भारतीय परम्परा के अनुसार खेती करेंगे तो खुशहाल हो सकते हैं। देशी गायों का पालन और उनके गोबर के इस्तेमाल से बेहतर खेती की जा सकती है। इसके साथ ही ड्रिप एरिगेशन से खेती करने पर 90 प्रतिशत पानी बचाया जा सकता है।

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि धरती माता के स्वास्थ्य के बारे में हमने नहीं सोचा। इसके लिए जो प्रयास हो सकता था वह नहीं हुआ। सॉइल टेस्टिंग की व्यवस्था नहीं हो रही है। उन्होंने नाराजगी जतायी कि सॉइल टेस्टिंग का बजट होने के बावजूद कृषि विज्ञान केन्द्र और कृषि विश्वविद्यालय कुछ नहीं कर रहे हैं। इनको हजारों करोड़ का बजट मिलने के बावजूद कुछ नहीं कर रहे हैं। अगर किया होता तो आज युवा बेरोजगार नहीं होता। उन्होंने कहा कि कम लागत में अधिक उत्पादन कृषि की सबसे बड़ी चुनौती है। लागत के अनुसार उपज का दाम नहीं मिलने से किसान खेती से किनारा कर रहे हैं। कम लागत में वह भी प्राकृतिक तरीके से उपज बढ़ाना क्रान्तिकारी कदम है। ऐसा प्रयास करने वाले सराहनीय हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश में खेती उर्वरा है, पानी की समस्या नहीं है। लेकिन फिर भी बुरा हाल है। गौवंश को खेती से जोड़ा जाए। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि खेती में कम रसायनों का इस्तेमाल किया जाए। गाय को ऐसे ही हमारे ऋषियों ने गौ माता नहीं माना है। गौ माता का एक-एक अवयव हमारे लिए उपयोगी है। देशी गाय का गोबर रसायनों से हजारों गुना बेहतर है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हम गोवंश के कारण विपक्ष के आरोपों को झेल रहे हैं। गौ वंश छुट्टा घूमने की बात कही जा रही है। मैं कह रहा हूं कि गौ वंश 9 महीने की समस्या नहीं है। यह कोई समस्या नहीं है। यह हमारी आस्था का सवाल है। हम गो माता की तस्करी और कटान नहीं होने देंगे। यह हमारी श्रद्धा का मामला है।

उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं प्रदेश में बड़ी बड़ी गौशालाएं खोली जाएं। इसकी बाऊंड्री सरकार बनवाएगी, स्ट्रक्चर भी बनवा देगी। लेकिन इसे चलाने के लिए आम लोगों को जोड़ा जाए। स्थानीय स्तर पर समितियां बनाई जाए। उन्होंने कहा कि इसके लिए हर परिवार के जिम्मे एक गाय के रखरखाव की जिम्मेदारी दी जाए, जिससे उस इंसान के जन्म और जीवन दोनों तर जाएंगे।

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