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ट्रेन के वेज बिरयानी में निकली छिपकली , खाकर यात्री बीमार

नई दिल्ली, 26 जुलाई : नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) द्वारा रेलवे के खाने को इंसानों के खाने योग्य नहीं करार दिये जाने के बावजूद रेलवे की कैटरिंग सेवा पुराने ढर्रे पर ही चल रही है। इसका ताजा मामला उत्तर प्रदेश के चंदौली में पूर्वा एक्सप्रेस में सामने आया है। ट्रेन में सवार एक यात्री ने रेल मंत्री सुरेश प्रभु से उसे परोसे गये भोजन में छिपकली मिलने की शिकायत की है। 

दरअसल , श्रद्धालुओं का एक ग्रुप झारखंड से यूपी के लिए सफर कर रहा था कि तभी उन्हें वेज बिरयानी परोसी गई, जब ट्रेन पटना के नजदीक थी. इसमें मरी हुई छिपकली मिली. एक व्यक्ति बीमार भी पड़ गया. जब टिकट चेकर और पेंट्रीकार के कर्मचारी से इसकी शिकायत की तो कोई ध्यान नहीं दिया गया. इसके बाद पैसेंजर ने रेलमंत्री सुरेश प्रभु का ट्वीट कर पूरे मामले की जानकारी दी.

इस ट्वीट का प्रभाव यह पड़ा कि जैसे ही ट्रेन यूपी के मुगलसराय स्टेशन के पास रुकी तो कई वरिष्ठ अधिकारी पहुंचे और बीमार शख्स को दवाइयां दीं. साथ ही कार्रवाई का भरोसा भी दिया.

मुगलसराय स्टेशन के सीनियर ऑफिसर किशोर कुमार ने बताया कि हमारे लिए सबसे बड़ी चिंता यात्री की सेहत को लेकर है. ट्रेन के आने से पहले ही डॉक्टर से उनके स्वास्थ्य को लेकर बातचीत हुो गई थी और उन्होंने दवाई बता दी थी. हम लोग जांच कर रहे हैं और सख्त कार्रवाई करेंगे.

रेल मंत्रालय ने रद्द किया लायसेंस 

रेल मंत्रालय ने बुधवार को रेल यात्रियों को परोसे जाने वाले खाने की गुणवत्ता खराब होने और पूर्वा एक्सप्रेस में एक यात्री के खाने में मरी हुई छिपकली निकलने की घटना को गंभीरता से लेते हुए इस ट्रेन में खानपान का ठेका चला रहे आर के एसोसिएट्स को 48 घंटे का नोटिस जारी कर उसकी सेवाएं समाप्त कर दी हैं। इस कंपनी को गत 15 मई 2014 को पूर्वा एक्सप्रेस में खानपान का ठेका पांच वर्षों के लिए दिया गया था। वर्ष 2016 में कंपनी पर दस लाख रुपये का जुर्माना और 2017 में 7.5 लाख रुपये का जुर्माना किया जा चुका है।  

दरअसल हाल ही में सीएजी की रिपोर्ट में सामने आया है कि ट्रेनों में सफर करते हुए पैंट्री कार से मंगाकर जो खाना आप खाते हैं, वो कहीं-कहीं तो इंसान के खाने लायक नहीं है. कई जगहों पर वो गंदे पानी से पकाया जाता है और दूषित होता है. चलती ट्रेनों में पैंट्री साफ-सुथरी होनी चाहिए, मगर आम तौर पर होती नहीं. देश के 74 रेलवे स्टेशनों और 80 ट्रेनों की जांच के बाद ये नतीजा सीएजी ने निकाला है. संसद में पेश उसकी बिल्कुल ताज़ा रिपोर्ट में बताया गया है कि खाना कई जगहों पर ख़राब मिला; सामान आदमी के खाने लायक नहीं थे; खाने का सामान भी दूषित मिला; कहीं-कहीं एक्सपायरी के बाद का सामान मिला; यही नहीं, नलके के गंदे पानी का खाना पकाने में इस्तेमाल हुआ. मक्खी और धूल से बचाने के लिए खाना ढंका हुआ भी नहीं मिला और ट्रेनों में तिलचट्टे और चूहे मिले.

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