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तेरह साल बाद माओवादी गढ़ पामेड़ में सजा साप्ताहिक बाजार

बीजापुर, 15 जनवरी (हि.स.)। दक्षिण बस्तर में माओवादी दहशत के चलते कई हाट बाजार बंद हो गए थे, जिससे आदिवासियों की आर्थिक स्थिति लगातार खराब हो रही थी। इस बीच क्षेत्र में माओवादी की दहशत कम होते देख ग्रामीणों ने फिर से हाट बाजार लगाना शुरू कर दिया। इसी तारतम्यता में पिछले 13 सालों से बंद पड़े बासागुड़ा, बस्तर का ऐतिहासिक बाजार फिर से सजने लगा है। अब इसी क्रम में आंध्र और छत्तीसगढ़ सीमा में बसे ग्राम पामेड़ में साप्ताहिक हाट बाजार लगना सोमवार से प्रारंभ हो गया है।

छग के छोर में बसे पामेड़ गांव के थाने के समीप मैदान में फिर से साप्ताहिक हाट नए साल से लगना शुरू हो गया है। इस गांव में सलवा जुडूम के बाद माओवादी हलचल तेज होने के चलते 13 साल से बाजार बंद था और लोगों को शनिवार के दिन यमपुर साप्ताहिक हाट जाना पड़ता था। 

तेलंगाना से 18 किमी दूर बसे उसूर ब्लॉक के पामेड़ गांव में 2005 तक गुरुवार को साप्ताहिक हाट लगा। यहां इस दिन बाजार की वजह से सुबह से शाम तक रौनक रहती थी। बाजार में तेलंगाना के वेंकटापुरम, चेरला एवं अन्य गांवों से व्यापारी आया करते थे। सलवा जुडूम (शांति अभियान) शुरू होने के बाद माओवादी गतिविधियां भी तेज हो गईं और पामेड़ का ये बाजार फोर्स-माओवादी संघर्ष के चलते बंद हो गया। 1376 की आबादी वाले इस गांव के लोग बाजार बंद होने से आठ किमी दूर यमपुर में शनिवार को लगने वाले साप्ताहिक बाजार जाने लगे।
मुख्य कार्यपालन अधिकारी,बीजापुर एसबी गौतम ने बताया कि अभी बाजार की शुरुआत कर दी गई है। धीरे-धीरे सभी व्यवस्थाएं भी कर दी जाएंगी।

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