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धुएं से रहें दूर

वायुमंडल में लगातार बढ़ रहा प्रदूषण जानलेवा होता जा रहा है। दुनियाभर में होने वाली 10 मौतों में से एक मौत धुएं के कारण होती है। ध्यान देने वाली बात यह है कि धुएं से होने वाली इन मौतों में 50 प्रतिशत मौतें केवल 4 देशों में हो रही हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, चीन, भारत, यूएस और रूस दुनिया के उन देशों में शामिल हैं, जहां धुएं के कारण सबसे अधिक मौतें हो रही हैं।

वर्ष 2017 में आई एक रिपोर्ट्स के मुताबिक, वर्ष 2015 में भारत दुनिया के उन 10 शीर्ष देशों में भी शामिल रहा, जिन्होंने विश्व में दो तिहाई धुएं का उत्पादन किया। नए अनुमान के मुताबिक, दुनिया के 195 देशों में वर्ष 1990 से लेकर 2015 तक धुएं के उत्पादन ने खतरनाक रूप अख्तियार कर लिया है। धुआं इस दौरान दुनियाभर में होने वाली असमय मौतों एक लीडिंग फैक्टर के तौर पर सामने आया हालांकि कई देशों ने तंबाकू को लेकर अपनी नीतियों में जरूरी बदलाव किए हैं। ताकि इसकी खपत पर नियंत्रण लगाकर, धुएं से होने वाले नुकसान को कम किया जा सके।

विशेषज्ञों के मुताबिक, आधी सदी से भी अधिक समय से दुनिया धुएं के दुष्प्रभावों को झेल रही है। इस वक्त में तंबाकू का सेवन असमय मृत्यु की दूस बरी सबसेड़ी वजह है। वक्त रहते इस समस्या पर नियंत्रण पाने के लिए तंबाकू पर जरूरी प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता है।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, भारत में हर रोज करीब 5,500 युवा तंबाकू का सेवन शुरू कर रहे हैं। वहीं, 35 प्रतिशत युवा किसी न किसी रूप में तंबाकू का सेवन करते हैं। देश में 25 प्रतिशत महिलाओं ने 15 साल से कम उम्र में ही तंबाकू का प्रयोग शुरू कर देती हैं।

धुएं से रहें दूर

अप्रत्यक्ष धुम्रपान के मामले

घर और सार्वजनिक स्थलों पर सिगरेट व बीड़ी के कारण अप्रत्यक्ष धुम्रपान के मामलों में जहां पिछले कुछ सालों में कमी आई है वहीं कार्यस्थलों पर इसके मामले में बढ़ोतरी हुई है। कार्यस्थलों पर जहां करीब एक दशक पहले 29.9 फीसदी लोग दूसरों के धूम्रपान से प्रभावित होते थे। वहीं अब 30.2 फीसदी लोगों पर अप्रत्यक्ष धुम्रपान का असर पड़ रहा है।
ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे (जीएटीएस), इंडिया-2017 के अनुसार, वर्ष 2009-2010 से लेकर अब तक अप्रत्यक्ष धुम्रपान 29 फीसदी से घटकर 23 फीसदी रह गया है और घरों में ऐसे मामले 52 फीसदी से घटकर 39 फीसदी दर्ज किए गए हैं, जबकि कार्यस्थलों पर इसमें वृद्धि हुई है।

इस सर्वेक्षण में बताया गया है कि मीडिया के माध्यम से चलाए जा रहे प्रचार अभियान तंबाकू नियंत्रण नीतियां बनाने और लोगों को धुम्रपान करने से रोकने में सबसे कारगर रहे हैं। अप्रत्यक्ष धुम्रपान से हृदय प्रभावित होता है और धूम्रपान नहीं करने वालों में भी धुम्रपान से संबंधित रोग होने का खतरा रहता है। कार्यस्थल और सार्वजनिक जगहों को धूम्रपान निषेध क्षेत्र बनाने की नीतियों को प्रभावकारी तरीके से लागू करना कारगर उपाय होगा और इससे धुम्रपान नहीं करने वालों को बचाया जा सकता है।

‘अप्रत्यक्ष धुम्रपान के खतरे का कोई सुरक्षित स्तर नहीं है। हमें उम्मीद है कि इसके खतरों को लेकर लोगों की जानकारी बढ़ाने और धुम्रपान करने वालों के व्यवहार में बदलाव लाने में प्रचार अभियान ज्यादा कारगर साबित होगा।

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