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नोटबंदी को लेकर मोदी पर बरसे राहुल, पेटीएम को ‘पे टू मोदी” का नाम दिया.

नई दिल्ली, 11 जनवरी=  कांग्रेस ने बुधवार को मोदी सरकार के खिलाफ दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में जनवेदना सम्मेलन का आयोजन किया। सम्मेलन में पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कार्यकर्ताओं को ‘डरो मत’ का नया नारा दिया। राहुल ने भाजपा की सोच को डराने वाला करार देते हुए कांग्रेस को डर मिटाने का काम करने वाली पार्टी बताया।

जनवेदना सम्मेलन में राहुल गांधी ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सवाल दागते हुए कहा, “नरेंद्र मोदी जी बताएं कि नोटबंदी के बाद कितना कालाधन आया?” राहुल गांधी ने पेटीएम को ‘पे टू मोदी” का नाम दिया।

राहुल गांधी ने सम्मेलन के उद्घाटन और समापन में दो बार कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। राहुल गांधी ने कहा, ”8 नवम्बर को पीएम मोदी ने दीवार फिल्म के अमिताभ बच्चन की तरह कहा कि मित्रों आपकी जेब में जो पांच सौ- हजार के नोट हैं वो सिर्फ कागज हैं कागज।” राहुल ने कहा, ”भाजपा सरकार में कोई कुछ नहीं करता, जो कुछ भी करते हैं पीएम मोदी ही करते हैं। मंगलयान भी लगता है पीएम मोदी ने ही भेजा और उसमें इसरो के लोगों का कोई योगदान नहीं था।”

राहुल ने कहा, ”नोटबंदी के दौरान जब पूरा देश आप और मैं बैंक की लाइन में खड़े थे, तब जनार्दन रेड्डी ने अपनी बेटी की शादी में 500 करोड़ रुपये खर्च कर दिए। गडकरी जी ने भी अपनी बेटी की शादी की।”
राहुल गांधी ने कहा, ”मोदी जी की सरकार ने संवैधानिक संस्थाओं की ताकत कम की है। इस सरकार में आरबीआई की ताकत कम की गई। कभी-कभी कांग्रेस में भी होता है कि चुनाव के दौरान हम किसी स्थानीय कार्यकर्ता को टिकट ना देकर बाहर से कोई नेता लाकर बैठा देते हैं लेकिन कांग्रेस ने कभी आरबीआई जैसी संस्थाओं के साथ ऐसा नहीं किया।”

कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पर राहुल गांधी ने कहा, ‘हाथ के निशान का अर्थ है डरो मत। हम मानते हैं कि इस देश की जनता को किसी चीज से डरने की जरूरत नहीं है। यह देश जागरूक है। गुरु नानक, गुरू गोविंद सिंह, भगवान शिव सब की फोटो में हमें हाथ दिखता है। इसका मतलब है कि डरो मत।’

जनवेदना सम्मेलन में पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने भी नोटबंदी के फैसले पर गंभीर सवाल खड़े किए। उन्होंने दावा किया कि नोटबंदी पर मुहर के लिए कैबिनेट की बैठक नहीं बुलाई गई। चिदंबरम के मुताबिक सरकार के मंत्रियों को तब तक कैदियों की तरह बंद रखा गया जब तक पीएम ने इस फैसले का ऐलान नहीं किया।

चिदंबरम ने आरोप लगाया कि नोटबंदी का फैसला सरकार ने रिजर्व बैंक पर थोपा है। जिस बैठक में आरबीआई ने फैसले को मंजूरी दी, उसमें बैंक के तीन में से सिर्फ दो डायरेक्टर थे। इतना ही नहीं, चिदंबरम ने कहा कि नोटबंदी से जीडीपी दर दो फीसदी तक गिर सकती है। इस दर में एक फीसदी गिरावट का मतलब है 1.5 लाख करोड़ का नुकसान है। नोटबंदी से रोजगार और वेतन कम होंगे, इस फैसले से ऑटोमोबाइल और टेक्स्टाइल सेक्टर पर विपरीत असर पड़ेगा। वहीं 80 फीसदी छोटे और मध्यम दर्जे के उद्योगों के बंद होने का खतरा है।

चिदंबरम की बातों से सहमति जताते हुए पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने भी नोटबंदी के फैसले पर मोदी सरकार को घेरा। उनका दावा था कि नोटबंदी मोदी सरकार के खात्मे की शुरुआत है। मनमोहन सिंह ने आरोप लगाए कि पिछले दो साल में राष्ट्रीय आय बढ़ने का सरकारी दावा झूठा है। अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि जीडीपी दर गिरकर 6 फीसदी तक पहुंच सकती है। जीडीपी घटने पर रोजगार, उत्पादन और किसानों की आमदनी पर विपरीत असर पड़ेगा। नोटबंदी ने अर्थव्यवस्था को बद से बदतर बना दिया है।

इस सम्मेलन में मंच पर पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, गुलाम नबी आजाद, मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी समेत तमाम कांग्रेसी नेता मौजूद रहे। हालांकि पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी शामिल नहीं हुई।

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