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यूपी में मिली रियल लाइफ मोगली , हरकते बिलकुल बंदरो जैसी !

UP, बहराइच : जंगल बुक के पात्र मोगली के बारे में तो आप ने सुना ही होगा. कैसे एक इंसानी बच्चा जो जंगल में भेड़ियों के बीच रहा, उन्हीं की भाषा बोलता और उन्हीं की तरह छलांग लगता, खाता और पीता. क्या आप कल्पना कर सकते है कि असल जिंदगी में भी कोई मोगली हो सकता है. जी हां ऐसा हुआ है नेपाल की तराई से सटे यूपी के जिले बहराइच में. 

बहराइच के जंगल से पुलिस को आठ साल की एक ऐसी लड़की मिली है जो बंदरों के झुंड में रहती है और वह न तो इंसानों की तरह बोल पाती है और न ही व्यवहार करती है. बहराइच के जिला अस्पताल में कुछ दिन पहले कतर्नियाघाट के जंगलों से लाई गई 10 साल की रहस्यमय बच्ची सबके कौतुहल का विषय बनी है. इस बच्ची को लेकर सही जानकारी तो किसी के पास नहीं है, लेकिन अस्पताल स्टाफ व पुलिस मानती है कि इंसान की इस बच्ची परवरिश बंदरों के बीच हुई है.

लकड़हारों के जरिये बच्ची के बारे में पता चला 

आपको बता दें कि करीब तीन माह पहले इसे कतर्नियाघाट के जंगलों में लकड़ी बीनने वालों ने इस बच्ची को देखा था. बच्ची के तन पर एक भी कपड़ा नहीं था लेकिन वह इस सबसे बेफिक्र थी. लकड़हारे इसके पास गए तो बंदरों ने बच्ची को घेरे में ले लिया और किसी को पास नहीं फटकने दिया. कतर्नियाघाट वन्य जीव क्षेत्र के मोतीपुर रेंज में इसके बाद वह कई बार देखी गई. बताते हैं कि बच्ची चोट लगने की वजह से अस्वस्थ लग रही थी. इस बच्ची के करीब जाने की कोशिश करने पर बंदरों का झुंड ग्रामीणों पर हमलावर हो जाता. बात जैसे-तैसे आसपास के गांवों में फैल गई. दर्जनों बंदर घने जंगल में उसकी निगरानी कुछ इस तरह करते थे, जैसे यह बच्ची उनके परिवार की एक सदस्य हो.

पुलिस को बंदरों के बीच दिखी बच्ची

खबर मिलते ही जब मोतीपुर पुलिस बताए गए स्थान पर जंगल में पहुंची लेकिन बच्ची नहीं मिली .  20 जनवरी की रात यूपी 100 की टीम रात्रि गश्त के दौरान जंगल से गुजर रही थी कि अचानक उसे यह बालिका बंदरों के बीच दिखी. कड़ी मशक्कत के बाद पुलिस जवानों ने बालिका को बंदरों के बीच से निकालकर गाड़ी में बैठाया. जख्मी बालिका को एसआइ सुरेश यादव ने मिहीपुरवा सीएचसी में भर्ती कराया. हालत में सुधार न होने पर 25 जनवरी को बेहोशी की हालत में जिला अस्पताल पहुंचाया.

बच्ची की हालत में आया सुधार 

धीरे-धीरे बच्ची की हालत में सुधार आया. मोतीपुर एसओ राम अवतार यादव ने बताया कि लड़की जंगल में नग्न अवस्था में बंदरों के साथ पाई गई थी. इस दौरान बाल और नाखून बढ़े हुए थे। शरीर पर कई जगह जख्म भी थे। बालिका की उम्र लगभग 8 वर्ष है. बालिका न बोल पाती है और न ही लोगों की बात समझ पाती है.  

जंगल में रहकर बंदरों जैसे हो गया बच्ची का व्यवहार

लंबे अरसे तक जंगल में बंदरों के बीच रहने से इस बच्ची का व्यवहार भी बंदरों की तरह हो गया है. ये बच्ची लोगों को देखकर बंदरों की तरह गुर्राने लगती है, बच्ची के हाव-भाव भी बंदरों जैसे ही है. स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा खाना देने पर थाली से नीचे गिरा देती है और बेड पर बिखेर कर खाना खाती है.सीएमएस जिला अस्पताल बहराइच डॉ. डीके सिंह ने बताया कि अस्पताल में बालिका डॉक्टरों व अन्य लोगों को देखते ही चिल्ला उठती है, जिसकी वजह से इलाज में डॉक्टरों व स्टाफ नर्सों को खासा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

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ये बच्ची किसकी है, कहां से आई है ?

जंगल से मिली ये 10 साल की बच्ची किसकी है, कहां की रहने वाली है, यह किसी को पता नहीं है. बच्ची कब से जंगल में जानवरों के बीच थी इसकी भी कोई जानकारी किसी के पास नहीं है. अस्पताल में इस बच्ची का इलाज तो किया जा रहा है लेकिन भाषा नहीं समझ पाने की वजह से इलाज में दिक्कत आ रही है. ये बच्ची जानवरों की तरह ही भाषा बोलती है. डॉक्टर और वन्यकर्मी मिलकर बच्ची के व्यवहार में सुधार करने में जुटे हैं और उनका दावा है कि बच्ची अब धीरे-धीरे सामान्य हो रही है.

 

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