Home Sliderखबरेस्पोर्ट्स

योगी और उनके मंत्रियों ने मेजर ध्यानचंद को जयन्ती पर किया नमन

लखनऊ, 29 अगस्त : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हॉकी के विश्व प्रसिद्ध खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद की जयन्ती पर उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी है। उन्होंने मंगलवार को ट्वीट किया, ‘‘ भारत एवं विश्व हॉकी के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी, हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद जी की जयंती पर उन्हें शत्-शत् नमन।’’ 

इसी तरह उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने भी ट्वीट किया, ‘‘मेजर ध्यानचंद जी की जयंती पर नमन’’ उन्होंने कहा कि तीन ओलम्पिक गोल्ड मैडल और 400 से ज्यादा अन्तर्राष्ट्रीय गोल करने वाले हॉकी के जादूगर मेजर ध्यान चंद जी की जयन्ती पर विनम्र श्रद्धांजलि। इसके साथ ही उन्होंने राष्ट्रीय खेल दिवस पर सभी को शुभकामनाएं दी हैं। इसके अलावा प्रदेश सरकार के मंत्रियों, सिद्धार्थनाथ सिंह, चेतन चौहान, स्वतंत्र देव सिंह आदि ने भी ध्यानचंद की जयंती पर शुभकामनायें दी हैं। वहीं भाजपा के प्रदेश महामंत्री (संगठन) सुनील बंसल ने ट्वीट किया, ‘‘हॉकी के महान खिलाडी मेजर ध्यानचंद जी के जन्मदिवस, राष्ट्रीय खेल दिवस पर हार्दिक शुभकामनायें।’’

फुटबॉल में पेले और क्रिकेट में जो स्थान ब्रेडमेन का है, वही स्थान हॉकी में ध्यानचंद का है। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय हॉकी मैचों में 400 से अधिक गोल किए है। उनकी कप्तानी में भारतीय टीम लगातार 1928, 1932 और 1936 में ओलिंपिक में गोल्ड मैडल जीतने में कामयाब हुई है। उन्हें ’हॉकी का जादूगर’ कहा जाता है। सारा विश्व उनके खेल कौशल का कायल था।

मेजर ध्यानचंद सिंह का जन्म 29 अगस्त 1905 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद में हुआ था । 1922 में प्राथमिक शिक्षा के बाद सेना के पंजाब रेजिमेंट में बतौर सिपाही भर्ती हुए। 1927 में ’लंदन फ़ॉकस्टोन फेस्टिवल’ में उन्होंने अंग्रेज हॉकी टीम के खिलाफ 10 मैचों में 72 में से 36 गोल किए। 1928 में एम्सटरडैम, नीदरलैंड में समर ओलंपिक में सेंटर फारवर्ड पर खेलते हुए उन्होंने तीन में से दो गोल दागे । भारत ने यह मैच 3-0 से जीतकर स्वर्ण पदक हासिल किया। 1932 में लॉस एंजेल्स समर ओलंपिक में तो हद ही हो गई। भारत ने अमेरिकी टीम को 24-1 से धूल चटाकर स्वर्ण पदक जीता। इस वर्ष ध्यानचंद ने 338 में से 133 गोल लगाएं ।

1936 में बर्लिन समर ओलंपिक में फायनल मैच के पहले हुए एक दोस्ताना मैच में जर्मनी को हराय । पहले हॉफ तक 1-0 से आगे चल रही भारतीय टीम ने दूसरे हॉफ में सात गोल दाग दिए। मैच देख रहे एडॉल्फ़ हिटलर अपनी टीम की शर्मनाक हार से बौखलाकर बीच में ही मैदान छोड़कर चले गए। 1948 में 42 वर्षों तक खेलने के बाद ध्यानचंद ने खेल से संन्यास ले लिया ।

मेजर ध्यानचंद ने हॉकी के जरिये देश का आत्मगौरव बढ़ाया। भारतीय जनमानस में हॉकी के पर्याय के रूप में आज भी उनका नाम रचा-बसा है। उनका जन्मदिवस भारत में राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। दिल्ली का ध्यानचंद स्टेडियम उनके नाम पर है। उनकी याद मे सरकार ने ध्यानचंद पुरस्कार रखा है। उन पर डाक टिकट भी जारी किया गया है।

खास बात है कि भारत के अलावा विश्व के अनेक दिग्गजों ने भी ध्यानचंद की प्रतिभा का लोहा माना है। क्रिकेट के महानायक सर डॉन ब्रेडमेन ने ध्यानचंद के लिए कहा, “वह क्रिकेट के रनों की भांति गोल बनाते हैं।“ जर्मनी के एक संपादक ने ध्यानचंद की उत्तम खेल कला के बारे में इस तरह टिपण्णी की, “कलाई का एक घुमाव, आंखों देखी एक झलक, एक तेज मोड़, और फिर ध्यानचंद का जोरदार गोल।“ वियना में एक कलाकार ने अपनी पेंटिंग में ध्यानचंद को आठ भुजाओं वाला बनाया। ध्यानचंद के खेल से प्रभावित हिटलर ने उन्हें जर्मनी में बसने का न्योता दिया। देशभक्ति से लबरेज ध्यानचंद ने उनके इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया।

Related Articles

Back to top button
Close