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योगी का ‘यूपीकोका’ दलितों व अल्पसंख्यकों के दमन के लिए : मायावती

लखनऊ, 20 दिसम्बर (हि.स.)। उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व बसपा प्रमुख मायावती ने प्रदेश सरकार द्वारा लाये जा रहे नये कानून यूपीकोका को वापस लेने की मांग की है। मायावती ने कहा कि योगी सरकार ‘‘यूपीकोका‘‘ का इस्तेमाल गरीबों, दलितों, पिछड़ों व धार्मिक अल्पसंख्यकों के दमन के लिए करेगी।

कहा कि बीजेपी की सरकार में राजनीतिक द्वेष, जातिगत, साम्प्रदायिक व पक्षपात के आधार पर कानून का धड़ल्ले से गलत इस्तेमाल हो रहा है। इसलिए महाराष्ट्र के मकोका की तर्ज पर बनाये गये नये कानून का विरोध करेगी। इस कानून के लागू होने के बाद भाजपा इसका गलत इस्तेमाल करेगी। 

पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने बुधवार को जारी एक बयान में कहा कि प्रदेश में वर्तमान में बीजेपी सरकार निर्दोष दलितों, पिछड़ों व अकलियतों को जुल्म-ज्यादती व नफरत का शिकार बनाकर तथा इन्हें गलत मुकदमों में फँसाकर जेलों की सलाख़ों के पीछे भेजा चाह रही है। कहा कि यूपी में उर्दू, हिन्दी के बाद इस राज्य की दूसरी सरकारी भाषा है, इसमें शपथ ग्रहण करने पर बी.एस.पी. के अलीगढ़ के पार्षद पर साम्प्रदायिक भावना भड़काने का गलत आरोप लगाकर उसके विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया गया है, जो सरासर अन्याय है। 

बसपा सुप्रीमों ने कहा कि बीजेपी सरकार द्वारा अपराधियों व माफियाओं को चिन्हित करने का जो काम किया गया है उसमें भी इसी प्रकार का राजनीतिक द्वेष व जातिगत भेदभाव अपनाते हुये कमजोर वर्ग के लोगों को ही ज्यादातर सूचीबद्ध किया गया है। जिससे इस सरकार की असली मंशा बेनकाब हो चुकी है। 

बसपा मुखिया ने कहा कि बीजेपी से जुड़े लोग प्रदेश में हर स्तर पर कानून को अपने हाथ में लेने के काम कर रहे हैं। वे सभी प्रकार के संगठित अपराध, गुण्डागर्दी व माफियागिरी कर रहे हैं। उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करने के बजाय उन्हें हर प्रकार का सरकारी संरक्षण दिया जा रहा है। जिससे प्रदेश में कानून का राज ना होकर जंगलराज कायम करने की कोशिश है। इससे जनता त्रस्त है। 

कहा कि ऐसे में ‘‘यूपीकोका‘‘ कानून वास्तव में बीजेपी सरकार के लिए कानून-व्यवस्था के लिये नहीं बल्कि गरीबों, दलितों, पिछड़ों व अकलियतों के लिए ही दमन का नया हथियार साबित होगा। 

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