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वट सावित्री अमावस्या पर हुआ वट पूजन

हमीरपुर, 25 मई = जिले में वट सावित्री अमावस्या पर आज महिलाओं ने व्रत रखकर वट वृक्ष की पूजा की। नगर के दर्जनों स्थानों पर लगे वट वृक्षों की पूजा और फेरे लगाने का दौर दोपहर तक चलता रहा। वहीं जिले के ग्रामीण इलाकों में इसकी धूम दिन भर मची रही।

वट वृक्ष की पूजा के बारे में यह कथा काफी पौराणिक है जब भद्र देश के राजा अश्वपति की बेटी सावित्री की शादी सत्यवान के साथ हुई थी। सत्यवान की उम्र जब 28 वर्ष की हो गई तो उन्हें लेने स्वयं यमराज आये। उस समय सावित्री बरगद के वृक्ष के नीचे अपने पति के पास बैठी थी। यमराज जब सत्यवान के प्राण लेकर चल दिये तो सावित्री भी उनके पीछे-पीछे चल दिये। यमराज के बार-बार कहने के बावजूद सावित्री नहीं उनके पीछे-पीछे चलने की जिद पर अड़ी रही।

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यमराज ने सावित्री की पतिव्रता को देखते हुए तीन बर मांगने को कहा तो उसने अपने अंधी सास ससुर को रोशनी देने, खोया राजपाट वापस लौटाने तथा सौभाग्यवती होने का वर मांग लिया जिससे यमराज ने दे दिया। बाद में यमराज ने पति की भक्ति देख सावित्री के पति के प्राण लौटा दिये। इसी कथानक से वट वृक्ष की पूजा होने लगी।

इस व्रत का दूसरा वैज्ञानिक पहलू यह है कि बरगद के पेड़ से मानव को आक्सीजन ज्यादा मात्रा में मिलती है और इससे पर्यावरण भी स्वस्थ रहता है। आज वट सावित्री व्रत की जिले में धूम रही। हमीरपुर नगर के पतालेश्वर मन्दिर, चौरादेवी मन्दिर, रहुनियां, बीएसएनएल, कलेक्टरेट परिसर, रमेड़ी सहित कई स्थानों पर वट वृक्ष की पूजा करने के लिये हजारों महिलाओं की भीड़ उमड़ी। पूजन के बाद वट वृक्ष के किसी ने तीन तो किसी ने एक सौ आठ फेरे लेकर अपने सुहागों के दीर्घायु होने की कामना की। बरगद के पेड़ की पूजा के दौरान बड़ी संख्या में खरबूजे चढ़ाये गये। आज इस व्रत को देखते हुये खरबूजा भी महंगे दामों में बिके।

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