उत्तर प्रदेशखबरेराज्य

37 हजार आवारा पशुओं के चारे के लिए भूमि नहीं बची , लुप्त हुए चरागाह

फतेहपुर, 23 जनवरी (हि.स.)। सरकार ने पशु पालन के लिए तमाम योजनाएं तो शुरू की लेकिन चरागाह सिर्फ कागजों भर में दिखाई दे रहे है। 37 हजार अन्ना पशुओं के चारे के लिए भूमि नहीं बची है। फतेहपुर जनपद बांदा सीमा से जुड़ा होने से एक लाख से अधिक अन्ना पशु दोआबा में आ गए। जो फसलों को नष्ट करने में लगे है।

पिछले पांच सालों से फतेहपुर के किसानों पर सूखा, ओलावृष्टि, अतिओलावृष्टि की मार पड़ने से कमर टूट चुकी है। अब अन्ना (आवारा) पशुओं की बढ़ती हुई संख्या से किसान दिन-रात खेतों में ढेरा डालकर अपनी फसल को बचा रहे हैं। अन्ना पशुओं के चारे और विचरण करने के लिए छोड़े गए चरागाह में राजस्व कर्मियों की मिली भगत से लोगों का अवैध कब्जा है। इनमें मकान बन चुके हैं या फिर खेती होती है। अन्ना पशुओं के चारे के लिए भूमि नहीं बची जिससे फसलों को नुकसान पहुंचा रहे है।

रारा गांव की पशुचर 80 बीघा जमीन पर प्रशासन ने टै्रक्टर चलवा कर अवैध कब्जे से मुक्त करा ली है। जनपद के सैकड़ों गांवों में चरागाह की भूमि मौजूद है। विभाग के अनुसार 70-80 फीसदी चरागाहों में अवैध कब्जा है। ऐसे में जब चरागाह ही नहीं है तो पशु स्वाभाविक है आसपास खेतों का ही रूख करेंगे और किसानों का दुश्मन बनेंगे। 

अपर जिलाधिकारी जगदीश सिंह का कहना है कि लेखपालों से सुरक्षित भूमि की रिपोर्ट मांगी गयी है। गांवों की सुरक्षित भूमि के अवैध कब्जे हटवाये जाएंगे। 

Related Articles

Back to top button
Close