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CM योगी आदित्यनाथ ने काकोरी काण्ड के शहीदों को बलिदान दिवस पर दी श्रद्धांजलि

लखनऊ, 19 दिसम्बर (हि.स.)। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने काकोरी काण्ड के शहीदों को उनके बलिदान दिवस पर याद किया है। उन्होंने सोमवार को ट्वीट किया, ‘‘वीर बलिदानी रामप्रसाद बिस्मिल, अशफ़ाक़ उल्ला ख़ां एवं ठाकुर रोशन सिंह के बलिदान दिवस पर भावभीनी श्रद्धांजलि। यह राष्ट्र सदैव आप अमर बलिदानियों का ऋणी रहेगा।’’ 

मुख्यमंत्री ने कहा कि जब करोड़ों देशवासियों के लिए स्वतंत्र राष्ट्र एक सपना मात्र था, तब वीर रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां एवं ठाकुर रोशन सिंह ने अंग्रेजी हुकूमत को ललकारते हुए अपने प्राणों की आहुति देकर स्वतंत्रता आन्दोलन की ज्वाला को पुनः प्रज्जवलित किया। उन्होंने कहा कि यह राष्ट्र सदैव ऐसे अमर बलिदानियों का ऋणी रहेगा। 

भारत की आजादी के लिए लड़ रहे देश की तीन वीर सपूत रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला, ठाकुर रोशन सिंह को आज ही के दिन 19 दिसम्बर 1927 को अलग-अलग जेलों में फांसी दी गई थी। इस दिन को देश बलिदान दिवस के रुप में मनाता है।
काकोरी काण्ड भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के क्रान्तिकारियों द्वारा ब्रिटिश राज के विरुद्ध भयंकर युद्ध छेड़ने की मंशा से हथियार खरीदने के लिये ब्रिटिश सरकार का ही खजाना लूट लेने की एक ऐतिहासिक घटना थी, जो 09 अगस्त 1925 को घटी। हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के सदस्यों ने इस पूरी घटना को अंजाम दिया था।

क्रान्तिकारियों द्वारा चलाए जा रहे आजादी के आन्दोलन को गति देने के लिये धन की तत्काल व्यवस्था की जरूरत के मद्देनजर शाहजहांपुर में हुई बैठक के दौरान राम प्रसाद बिस्मिल ने अंग्रेजी सरकार का खजाना लूटने की योजना बनायी थी। इस योजनानुसार दल के ही एक प्रमुख सदस्य राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी ने 09 अगस्त 1925 को लखनऊ जिले के काकोरी रेलवे स्टेशन से छूटी ‘‘आठ डाउन सहारनपुर-लखनऊ पैसेन्जर ट्रेन’’ को चेन खींच कर रोका और क्रान्तिकारी पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में अशफाक उल्ला खां, पण्डित चन्द्रशेखर आज़ाद व 6 अन्य सहयोगियों की मदद से समूची ट्रेन पर धावा बोलते हुए सरकारी खजाना लूट लिया। 

बाद में अंग्रेजी हुकूमत ने उनकी पार्टी हिन्दुस्तान रिपब्लिकन ऐसोसिएशन के कुल 40 क्रान्तिकारियों पर सम्राट के विरुद्ध सशस्त्र युद्ध छेड़ने, सरकारी खजाना लूटने व मुसाफिरों की हत्या करने का मुकदमा चलाया जिसमें राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी, पण्डित राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां तथा ठाकुर रोशन सिंह को फांसी की सजा सुनायी गयी। इस मुकदमें में 16 अन्य क्रान्तिकारियों को कम से कम 4 वर्ष की सजा से लेकर अधिकतम काला पानी यानी आजीवन कारावास तक का दण्ड दिया गया था।

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