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गरीब मजदूर वर्ग की आजीविका सरकार की प्राथमिकता में नहीं : चिदंबरम

नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा देश के नाम संबोधन में जरूरतमंदों के लिए आर्थिक पैकेज की घोषणा नहीं किए जाने पर तंज कसते हुए कहा कि शायद गरीब मजदूर वर्ग की आजीविका सरकार की प्राथमिकताओं में नहीं है। हालांकि कांग्रेस नेता ने लॉकडाउन के विस्तार पर कहा कि वो सरकार की मजबूरी को समझते हैं और इस फैसले का समर्थन करते हैं।

पूर्व वित्तमंत्री ने कहा कि देश में कोविड-19 (कोरोना वायरस) के प्रकोप को देखते हुए लॉकडाउन बढ़ाने का सरकार का फैसला अच्छा है लेकिन इससे प्रभावित लोगों के लिए राहत की घोषणा न होना निराशाजनक है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के देश के नाम संबोधन में तालाबंदी से परे कोई नया संदेश नहीं था। आज के संबोधन से यह स्पष्ट है कि गरीबों के लिए आजीविका और उनका अस्तित्व सरकार की प्राथमिकताओं में नहीं है। यहां तक कि विपक्ष लगातार जरूरतमंदों को आर्थिक मदद पहुंचाए जाने की मांग करता रहा है लेकिन इस पर भी केंद्र ने कोई जवाब नहीं दिया। बीते 25 मार्च को घोषित आर्थिक पैकेज में अब तक एक रुपये का भी इजाफा नहीं किया गया है, तो फिर किस प्रकार लोगों की मदद की जा रही है।

चिदंबरम ने कहा कि रघुराम राजन से लेकर जीन ड्रेज़ और प्रभात पटनायक से लेकर अभिजीत बनर्जी तक, कई अर्थशास्त्रियों की सलाह को सरकार ने अनसुना कर दिया है। आखिर खस्ताहाल अर्थव्यवस्था के बीच अगर कोई सुझाव-सलाह दे रहा है तो उस पर विचार करने से सरकार क्यों परहेज कर रही है। को फिर से अनसुना कर दिया गया। उन्होंने कहा कि पहले 21 और अब 19, कुल मिलाकर 40 दिनों के लॉकडाउन में बिना भोजन और नकदी के लोग कैसे सर्वाइव करेंगे, यह चिंता का विषय है। सरकार को इस मुद्दे पर प्रमुखता से विचार कर निर्णय लेना चाहि था लेकिन वह लगातार इस टालने में लगे हैं। (एजेंसी, हि.स.)

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