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शाहीन बाग प्रदर्शकारियों से आज फिर मिले वार्ताकार, कहा-मन से हल करें मसले को, तो बनेगी मिसाल

नई दिल्‍ली । उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त दो वार्ताकारों ने दूसरे दिन यानी गुरुवार को शाहीन बाग पहुंचकर प्रदर्शनकारियों से बातचीत शुरू कर दी। वार्ताकार बुधवार को पहुंचे थे। 16 दिसंबर से ये लोग प्रदर्शन कर रहे हैं।

बुधवार को वार्ताकारों ने दो घंटे तक प्रदर्शनकारियों से बात की थी। आज फिर साधना रामचंद्रन और संजय हेगड़े बात करने पहुंचे हैं। साधना रामचंद्रन ने कहा कि सीएए पर उठे सवाल सुप्रीम कोर्ट के सामने हैं। सुप्रीम कोर्ट भी मानता है कि आपको आंदोलन का हक है। शाहीन बाग बरकरार है और रहेगा। संजय हेगड़े ने कहा, अगर सच्चे मन से इस मसले को हल करें तो यह जगह एक देश के लिए मिसाल बन जाएगी।

शाहीन बाग में बीते दो महीने से सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत का यह पहला प्रयास है। वार्ताकारों अधिवक्ता संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन के साथ पूर्व नौकरशाह वजाहत हबीबुल्ला महिलाओं से बातचीत करने और गतिरोध को तोड़ने की कोशिश में शाहीन बाग पहुंचे।

शाहीन बाग सीएए विरोधी प्रदर्शनों का केंद्र बना हुआ है। इस दौरान कई प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वह सीएए, एनआरसी और एनपीआर को खत्म किए जाने के बाद ही यहां से उठेंगे। शाहीन बाग में वार्ताकारों के पहुंचने से पहले दिल्ली पुलिस ने एक शख्स को हिरासत में लिया है। जिस शख्स को हिरासत में लिया गया है, वो नारेबाजी कर रहा था। सुप्रीम कोर्ट की ओर से वकील संजय हेगड़े, साधना रामचंद्रन को बतौर वार्ताकार नियुक्त किया गया है, जो शाहीन बाग प्रदर्शनकारियों से बात करेंगे और सुप्रीम कोर्ट तक उनकी बात पहुंचाएंगे।

रामचंद्नन ने प्रदर्शनस्थल पर बड़ी संख्या में जमा लोगों से कहा, ”उच्चतम न्यायालय ने प्रदर्शन करने के आपके अधिकार को बरकरार रखा है। लेकिन अन्य नागरिकों के भी अधिकार हैं, जिन्हें बरकरार रखा जाना चाहिये।” उन्होंने कहा, ”हम मिलकर समस्या का हल ढूंढना चाहते हैं। हम सबकी बात सुनेंगे।”

महिलाओं द्वारा व्यक्त की गईं चिंताओं पर रामचंद्रन ने कहा कि ये सभी बिंदु उच्चतम न्यायालय के सामने रखे जाएंगे और इन पर विस्तार से चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा, ”मैं आपसे एक बात कहना चाहती हूं। जिस देश में आप जैसी बेटियां हों, उसे कोई खतरा नहीं हो सकता।” उन्होंने कहा, ”आजादी लोगों के दिलों में बसती है।”

गौरतलब है कि 16 दिसंबर से जारी धरने के चलते दिल्ली और नोएडा को जोड़ने वाली मुख्य सड़क बंद है, जिससे यात्रियों और स्कूल जाने वाले बच्चों को परेशानी हो रही है। महिलाओं, युवाओं और बुजुर्गों ने वार्ताकारों के सामने अपनी-अपनी बात रखने का प्रयास किया।

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