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यौन उत्पीड़न मामले में अलग बिल की जरूरत नहीं, : सत्यार्थी

वाराणसी, 18 जनवरी=  दुनिया के 144 देशों के हजारों बच्चों को उनके परिवार से मिलाने और उन्हें उनका हक दिलाने का भगीरथ प्रयास करने वाले नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी का मानना है कि भारत में बेटियो और बाल श्रमिको की बेहद खराब स्थिति है। दिल्ली और अन्य शहरो में असाम पश्चिम बंगाल से कम उम्र की बेटियों को जानवरों से भी कम दाम में बेचा जा रहा है। बच्चो और बेटियो से घरेलू नौकर और वेश्यावृत्ति जैसे काम कराए जा रहे हैं। शर्मनाक बात यह है कि यौन उत्पीड़न मामले में महज दो फीसदी आरोपियो को ही सजा हो पायी है। इस रोेकने के लिए कड़ाई से पास्को जैसे कानून को लागू करना होगा। अलग से बिल (अध्यादेश)बनाने की जरूरत नही है।

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष के मौके पर बुधवार को परिसर स्थित स्वतन्त्रता भवन सभागार में आयोजित ‘सुरक्षित बचपन, सुरक्षित भारत’ विषयक विशेष व्याख्यानमाला में भाग लेने के बाद श्री सत्यार्थी एलडी गेस्ट हाउस में मीडिया से रूबरू थे। उन्होंने कहा कि भारत के अलावा पाकिस्तान नेपाल अफगानिस्तान नाइजीरियां जर्मनी में भी कमोवेश यही तस्वीर है। कहा कि सर्वाधिक शर्मनाक तस्वीर दूसरे देशो के शरणार्थी शिविर में रह रहे बच्चो की है। इन शरणार्थी बच्चो को जबरन वेश्यावृत्ति में ढ़केल गुलाम बनाया जा रहा है। आईएलओ के आंकड़ों का हवाला देकर कहा कि विश्व में 16.8 करोड़ बच्चे आज भी बाल मजदूरी करने के लिए अभिशप्त हैं और 20 करोड़ बच्चे अभी भी स्कूल से बाहर हैं।

उन्होंने बताया कि इस समस्या को लेकर पिछले वर्ष 11 दिसम्बर को दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में दुनिया के पूर्व राष्ट्रध्यक्षो,राजकुमारो के साथ भारत के 200 गणमान्य लोगो के साथ बैठक हुयी थी। बताया कि इस समस्या का समाधान युवा चेतना से ही होगी। बाल श्रम से मुक्त कराये गये बच्चो के पुर्नवास से जुड़े सवाल पर कहा कि इस दिशा में उनकी संस्था के साथ केन्द्रीय सरकार और कई सामाजिक संस्थाएं आगे आयी है। बताया कि दक्षिण एशिया सहित भारत में यौन् हिंसा और बाल श्रम की दर में भी गिरावट आयी है।

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