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पश्चिमी उत्तर प्रदेश पर मंडराया भूकंप का खतरा

मेरठ, 27 जनवरी (हि.स.)। उपजाऊ समझी जाने वाली पश्चिमी उत्तर प्रदेश की धरती अपने भीतर भूकंप का खतरा भी छिपाए हुए है। रह-रह कर आने वाले भूकंप के हल्के झटके भयावह भविष्य की कहानी कह रहे हैं। एक नहीं, दो नहीं बल्कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 31 जनपदों के करोड़ों लोगों पर भूकंप का खतरा मंडरा रहा है। इसके बाद भी भूकंपरोधी भवन बनवाने में न तो सरकारी मशीनरी की रूचि है और न ही बिल्डर इसके लिए तैयार हैं।

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और उसके आसपास का इलाका भूकंप की दृष्टि से हाईरिस्क जोन पांच में शामिल है। लंबे समय से शासन ने इन सभी इलाकों में भूकंपरोधी भवनों का निर्माण करने की हिदायत दी हुई है लेकिन इसका आदेश की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के इस इलाके में भूकंप के हल्के झटके लगातार बढ़ते जा रहे हैं, इसके बाद भी सरकारी विभाग भूकंप के खतरे की अनदेखी कर रहे हैं।

बार-बार जारी की जाती है सूची

भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील होने के बाद भी विकास प्राधिकरण और आवास एवं विकास परिषद के अधिकारी भूकंप रोधी भवन नहीं बनवा पा रहे। राज्य आपदा प्रबंध प्राधिकरण लगातार भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील जनपदों की सूची जारी करता है। इस बार भी 31 जनपदों की सूची जारी करके भवन निर्माण के नियम निर्धारित किए हैं। यूपी के इन जनपदों में मेरठ, बुलंदशहर, बागपत, गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, अमरोहा, बिजनौर, मुरादाबाद, शाहजहांपुर, बरेली, मथुरा, लखीमपुर खीरी, अलीगढ़, बदायूं, बलिया, बहराइच, बस्ती, देवरिया, गोंडा, कुशीनगर, संत कबीरनगर, बलरामपुर, श्रावस्ती, गोरखपुर, पीलीभीम, सीतापुर, अंबेडकरनगर शामिल है।

इस बार सख्ती बरतेगा शासन

राज्य आपदा प्रबंध प्राधिकरण के अनुसार, इस बार सरकारी और निजी भवनों को पूरी तरह से भूकंपरोधी बनाया जाएगा। नियमों को सख्ती से लागू किया जाएगा। भूकंप के खतरे को देखते हुए सरकार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। मेरठ मंडल के आयुक्त डाॅ प्रभात कुमार का कहना है कि राज्य आपदा प्रबंध प्राधिकरण के निर्देशों का सभी जिलों में पालन कराया जाएगा। भूकंप के कारण संवेदनशील जिलों पर पूरा ध्यान दिया जाएगा। इसमें लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों और बिल्डरों पर भी सख्त कार्रवाई होगी।

इस तरह होगा पालन

राज्य आपदा प्रबंध प्राधिकरण ने विकास प्राधिकरण भवन निर्माण और बिल्डिंग बायलाॅज के आधार पर ही भूकंप रोधी भवन बनाने की इजाजत दी है। इसके लिए प्राधिकरण और आवास विकास के अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। स्कूलों पर भी सबसे ज्यादा ध्यान देने के लिए कहा गया है।

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