खबरेधर्म क्षेत्र

आज है ‘सकट चौथ का व्रत’, ऐसे करे विग्नहर्ता को प्रशन्न.

माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है ‘सकट चौथ’ का त्योहार। इस बार यह व्रत 15 जनवरी 2017 को यह व्रत रखा जाएगा। इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है। महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। इस व्रत को वक्रतुण्डी चतुर्थी, तिलकुटा चौथ भी कहा जाता है। भारत में इसे पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में मनाया जाता है। कहा जाता है कि इस व्रत को माताएं अपनी संतान की खुशहाली के लिए करती हैं। 

kbn 10 news ganeshh

व्रत रखने का कारण : 

शास्त्रों की मानें तो इस व्रत के बारे में भगवान गणेश ने मां पार्वती को बताया था। कहा जाता है कि इस व्रत को रखने से विग्नहर्ता सभी विघ्न बाधाओं का नाश करते हैं और भगवान श्री गणेश संतान को सभी कष्टों से बचाते हैं। इसलिए मताए इस व्रत को अपने बच्चो की मंगल कामना के लिए पुरे मन से इस व्रत को करती है. 

इस तरह करे इस व्रत को :

सुबह सूर्योदय से पहले गुड़, तिल, गन्ने और मूली से भगवान गणेश की पूजा की जाती है। भगवान गणेश की मिट्टी की मूर्ति बनाई जाती है और पीले वस्त्र पहनाए जाते हैं।  इस दिन पूरे दिन व्रत रखा जाता है और शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत पूर्ण होता है। इस दिन सकट माता की भी पूजा की जाती है। पूजा की जगह इनका चित्र बनाया जाता है। इस दिन गुड़ और तिल से बने लड्डू भगवान गणेश को चढ़ाए जाते हैं इसके साथ उन्हें दुर्वा भी अर्पित की जाती है। इस पूरे दिन महिलाएं निर्जला होकर व्रत रखती हैं। 

‘ऊँ गं गणपतये नम:’’ 
‘‘वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ:,
निर्विघ्नं कुरूमें देव सर्व कार्येषु सर्वदा।’’

 ये हैं व्रत की कथा: 

सतयुग में महाराज हरिश्चंद्र के नगर में एक कुम्हार रहता था। एक बार उसने बर्तन बना कर आंवा लगाया, पर आंवा पका ही नहीं। बर्तन कच्चे रह गए। बार-बार नुकसान होते देख उसने एक तांत्रिक से पूछा तो उसने कहा कि बच्चे की बलि से ही तुम्हारा काम बनेगा। तब उसने तपस्वी ऋषि शर्मा की मृत्यु से बेसहारा हुए उनके पुत्र को पकड़ कर सकट चौथ के दिन आंवा में डाल दिया। लेकिन बालक की विधवा माता ने उस दिन गणेशजी की पूजा की थी। बहुत तलाशने पर जब पुत्र नहीं मिला तो गणेशजी से प्रार्थना की। सवेरे कुम्हार ने देखा कि आंवा पक गया, लेकिन बच्चा जीवित और सुरक्षित था। डर कर उसने राजा के सामने अपना पाप स्वीकार कर लिया। राजा ने बुढि़या से इस चमत्कार का रहस्य पूछा तो उसने गणेश पूजा के बारे में बताया। राजा ने सकट चौथ की महिमा स्वीकार की तथा पूरे नगर में गणेश पूजा करने का आदेश दिया। प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकटहारिणी माना जाता है।

Related Articles

Back to top button
Close