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तीन तलाक : कठोर कानून बने, नहीं तो नरक की जिंदगी जीती रहेंगी मुस्लिम महिलाएं

गोरखपुर, 23 अगस्त : तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के आए फैसले से तीन तलाक पीड़ित महिलाएं काफी खुश हैं, लेकिन उन्हें कानून को लेकर संशय भी है। महिलाओं का कहना है कि अब सरकार को चाहिए कि तीन तलाक पर एक कठोर कानून बनाए, जिससे मुस्लिम महिलाओं का शोषण और उत्पीड़न रोका जा सके। इसके अभाव में मुस्लिम महिलाएं नर्क की जिंदगी जीती रहेंगी।

गोरखनाथ के नौरंगाबाद इलाके की कादिरा बानो की शादी के दो साल भी नहीं बीते थे कि बाराबंकी के उनके पति परवेज आलम ने तलाक दे दिया था। फोन पर ही तीन बार तलाक-तलाक-तलाक कहने के साथ ही कदिरा बानो के सपनों को लगे पंख कट गए थे। उनकी दुनिया मे दो साल पहले आया उजाला, अब अंधेरे में तब्दील हो चुका था।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले को सही ठहराने वाली कादिरा तीन तलाक को हमेशा के लिए खत्म करने के पक्ष में हैं। अदालत के फैसले से मुस्लिम समाज की महिलाओं में सुरक्षा का भाव जन्म लेने को कहते हुए उनकी स्थिति में सुधार की बातें भी कहतीं हैं। दो साल की बेटी के साथ मायके में रह रही कादिरा को निकाह के बाद ही दहेज के लिए प्रताड़ित किया जाने लगा था। तमाम पंचायतों के बाद भी कोई हल नहीं निकलने के बाद पति के साथ रहने को तैयार थी, लेकिन वो कहीं और निकाह करना चाहता था।

अप्रैल 2014 में निकाह और 2016 में तलाक के बाद कदिरा बनो सिर्फ और सिर्फ दर्द झेल रहीं हैं। महिला थाना, पारिवारिक न्यायालय, गोरखनाथ मंदिर और न जाने कहां-कहां भटक चुकी कदिरा का मामला अब अदालत में लंबित है।

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पिपराइच के करमैनी निवासी सूफिया खातून भी तीन तलाक की शिकार हैं। सरकार से तीन तलाक पर कानून बनाने की मांग करते हुए सूफिया ने बताया कि दहेज की डिमांड पूरी न होने पर घर से निकाला गया। मारापीटा भी गया। फिर फोन पर आये तलाक-तलाक-तलाक की आवाज ने जिंदगी की सारी खुशियां छीन लीं। गोद मे पड़ी बिटिया पर भी उन्हें तरस नहीं आया था। अपना दर्द बताते हुए सूफिया कहती हैं कि तीन तलाक के बाद परिवार और समाज दोनों का साथ नहीं मिलता। लेकिन अब आत्मविश्वास बढ़ेगा। सम्पत्ति में अधिकार मिलेगा। कम से कम जिंदगी तो नरक नहीं बनेगी।

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अपने संघर्ष को बयां करते हुए कहतीं हैं कि मुकदमा दर्ज करने के बाद भी प्रताड़ना का अंत नहीं हुआ। मुख्यमंत्री से गुहार लगाई। दबाव में अदालत के बाहर समझौता हुआ दो लाख रुपये और बेटी के नाम एक लाख रुपये की एफडी मिली। बताइए, क्या इतने में गुजारा होगा? लेकिन कोई और चारा नहीं था, कब तक अदालत के चक्कर काटती। 

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