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धर्म का विकृत रूप अब हो रहा है परिवर्तन : स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज

मुंबई =स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज कहते है कि राजा-महाराजाओं के समय में बलपूर्वक प्रसारित किया गया धर्म का यह विकृत रूप स्वतंत्रता मिलने पर स्वत: ही धीरे-धीरे समाप्त होता जा रहा है। पहले कहा जाता था कि शूद्र कोई पद नहीं पा सकता, अब उस जाति के लोग बड़े-बड़े अधिकारी हो गए हैं। जिन्हें झोपड़ी में रहने और ठीकरों में खाने के लिए मजबूर किया जाता था, वे अब पांच सितारा होटलों में जाने लगे हैं। उस समय जो पद ब्राह्मणों के लिए आरक्षित हुआ करते थे अब उन पर ये लोग पहुंच गए हैं। पहले किसी ब्राह्मण को यदि कोई अपमानजनक शब्द कह देता तो उसे सजा होती थी। यहां तक कि गांव या देश से निकाल दिया जाता था। आज यदि अनुसूचित जाति के लोगों को जाति सूचक शब्द से बुलाया जाए तो तुरंत जेल हो जाती है और निचली अदालत से जमानत तक नहीं होती। इसके विरोध या इसपर बिगड़ने की बात नहीं है।

यह भी पढ़े =धर्म की परिभाषा क्या है = स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज

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