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भीमा कोरेगांव हिंसा : संभाजी भिडे पर मेहरबान महाराष्ट्र सरकार , दंगा केस से हटा नाम

मुंबई ( 1 अक्टूबर ): भीमा कोरेगांव हिंसा के बाद सुर्खियों में आये संभाजी भिडे पर महाराष्ट्र सरकार कुछ ज्यादा ही मेहरबान है। शायद यही वजह है कि भिडे के खिलाफ दर्ज केसों में से 6 केस सरकार वापस ले चुकी है। महाराष्ट्र की देवेंद्र फडणवीस सरकार ने 8 शासन फैसले जारी कर कुल 41 केसों में हजारों आरोपियों को बड़ी राहत दी है। बता दें सरकार ने जिन 41 आपराधिक केस वापस लिए हैं उनमें से ज्यादातर बीजेपी और शिवसेना के कार्यकर्ताओं व समर्थकों के खिलाफ थे।

सबसे अहम महाराष्ट्र सरकार ने भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी संभाजी भिडे और उनके सैकड़ो साथियों समेत नेताओं पर भी गंभीर धाराओं के तहत दर्ज आपराधिक मामलों को वापस लेने का फैसला लिया है। यह जानकारी आरटीआई एक्टिविस्ट और अधिकार फाउंडेशन के अध्यक्ष शकील अहमद ने गृह विभाग से मांगी थी। गृह विभाग की सुचना अधिकारी प्रज्ञा घाटे ने यह जानकारी साझा की है।

गौरतलब है कि फौजदारी प्रक्रिया दंड संहिता की धारा 321 प्रावधानों के तहत राज्य सरकार को अधिकार होता है कि अगर चाहें तो मामूली किस्म के अपराध में केस वापस ले सकती है। भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा 1 जनवरी 2018 को घटी थी। इस मामले में श्री शिव प्रतिष्ठान हिंदुस्तान के सस्थापक संभाजी भिड़े हिन्दू एकता अघाड़ी के मिलिंद एकबोटे पर पुणे के पिंपरी पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था। 85 वर्षीय भिड़े पर भीमा कोरेगांव की लड़ाई की 200 वीं वर्षगांठ पर दंगा फैलाने का आरोप लगा था।

शकील शेख ने आरटीआई में यह जवाब मांगा था की साल 2008 से कुल कितने राजनेताओ या कार्यकर्ताओ के खिलाफ केस वापस लिए गए हैं। इस पर मिली जानकारी चौंकाने वाली है। जवाब में कहा गया कि जून 2017 में संभाजी भिड़े और उनके साथियों के खिलाफ दर्ज 3 केस वापस लिए गए जबकि इसके अलावा भिड़े और उनके साथियों के खिलाफ 3 और केस वापस लिए गए हैं।

गौरतलब है कि 2008 से 2014 तक कांग्रेस और एनसीपी की सरकार में कोई भी केस वापस नहीं लिया गया था जबकि 2014 में बीजेपी सरकार आने के बाद जून 2017 से 14 सितंबर 2018 तक 8 शासन फैसले जारी कर कुल 41 केसों में हजारों आरोपियों का केस वापस लिया गया। RTI से मिली जानकारी के मुताबिक  महाराष्ट्र सरकार ने बीजेपी और शिवसेना के विधायक और कार्यकर्ताओं या उनके समर्थकों के खिलाफ केस भी वापस लिया।

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फडणवीस सरकार ने जितने भी 41 केसों को वापस लिया है वे सभी केस दंगा फैलाने, सरकारी काम में बाधा डालने, सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और सरकारी कर्मचारी पर हमला करने जैसे संगीन अपराध में दर्ज थे।

इन नेताओं पर दर्ज मामले लिए गए थे वापस…

1) राजू शेट्टी और अन्य (सांसद शेतकरी पक्ष) 2 केस

2)  अनिल राठौड़ (शिवसेना नेता) 2 केस

3) नीलम गोहे (शिवसेना विधायक) और मिलिंद नार्वेकर (उद्धव ठाकरे)

4) संजय (बाला) भेड्गे (बीजेपी नेता)

5)आशीष देशमुख (बीजेपी विधायक)

6) विकास मठकरी (बीजेपी विधायक)

7)संजय घाटगे (पूर्व बीजेपी और शिवसेना नेता)

8) किरन पावसकर (एमएलसी एनसीपी)

9) अभय छाजेड (कांग्रेस नेता)

10) डॉ. दिलीप येलगावकर (बीजेपी विधायक)

11) प्रशांत ठाकुर ( बीजेपी आमदार और सिड्को अध्यक्ष)

12) अजय चौधरी (शिवसेना विधायक)

अभी हाल हीं में कुछ दिनों पहले महारष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भीमा कोरेगांव केस मामले में आरोपी संभाजी भिड़े को क्लीन चिट दे दी थी। आरटीआई एक्टिविस्ट शकील अहमद के मुताबिक महाराष्ट्र सरकार ने पिछले चार सालों में एक भी आम आदमी का केस वापस नहीं लिया जबकि जितने भी केस वापस लिए गए हैं उनमें ज्यादातर बीजेपी और शिवसेना के नेता या कार्यकर्ताओं पर दर्ज थे।

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