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मलदीव में आपातकाल, मुख्य न्यायाधीश और पूर्व राष्ट्रपति गयूम गिरफ्तार

माले, 06 फरवरी (हि.स.)। मालदीव में राजनीतिक संकट दिनोंदिन गहराता जा रहा है। देश में सोमवार को आपातकाल घोषित कर दिया गया, लेकिन इससे कुछ देर पहले राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन ने देश की सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अब्दुल्ला सईद, न्यायाधीश अली हमीद और पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल गयूम को गिरफ्तार कर लिया गया।

समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने मालदीव के आंतरिक मामलों के मंत्री के हवाले से कहा कि यह आपातकाल 15 दिनों के लिए होगा। उधर राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से बयान जारी कर कहा गया, “मालदीव के अनुच्छेद 253 के तहत अगले 15 दिनों के लिए राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन ने आपातकाल की घोषणा की है। इस दौरान कुछ अधिकार सीमित रहेंगे, लेकिन सामान्य हलचल, सेवाएं और व्यापार इससे बेअसर रहेंगे।”

इससे पहले स्थानीय सरकार ने अदालत के फैसले को मानने से इंकार करते हुए संसद को स्थगित कर रखा है।

गयूम की पुत्री युम्ना मौमून ने ट्वीट कर कहा है कि 80 वर्षीय पूर्व राष्ट्रपति को राजधानी माले स्थित उनके घर से पकड़ कर ले जाया गया। वह साल 2008 में देश के पहले लोकतांत्रिक चुनाव होने से पहले 30 साल तक देश के राष्ट्रपति रहे थे। गयूम विपक्ष के साथ थे और अपने सौतेले भाई राष्ट्रपति यमीन को अपदस्थ करने के लिए अभियान चला रहे थे।

देश की सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक कैदियों को रिहा करने का आदेश दिया था, जिसे मानने से राष्ट्रपति यमीन ने मना कर दिया। भारतीय समय के मुताबिक, सोमवार शाम राष्ट्रपति की सहयोगी अजिमा शुकूर ने देश में आपातकाल की घोषणा की।

इस बीच मालदीव बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ने ट्वीट कर जानकारी दी कि सुरक्षा बल सुप्रीम कोर्ट के गेट को तोड़कर अंदर घुस गए हैं। मुख्य न्यायाधीश ने बताया कि कोर्ट को सुरक्षा बलों ने घेर लिया है।

इस बीच सांसद इवा अबदुल्ला ने संवाददताओं को बताया है कि सभी मौलिक अधिकार खत्म कर दिए गए हैं। सुरक्षा बलों को नियमों का उल्लंघन करने वालों को पकड़ने और खोजने के लिए तैनात कर दिया गया है।

विदित हो कि अब्दुल्ला यमीन साल 2013 से देश के राष्ट्रपति हैं, लेकिन उनके उपर भारत और अमेरिका का दबाव है कि वह कैद की सजा पाए पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नाशीद को रिहा करे। नाशीद के अलावा 8 अन्य राजनीतिक लोगों को भी रिहा करने का दबाव सरकार पर है।

इससे पहले, सोमवार को यमीन ने कहा था कि कानूनी संकट के कारण सुप्रीम कोर्ट के राजनीतिक विरोधियों के रिहा करने के आदेश के पालन पर अमल करने में समस्या आ रही है।

विदित हो कि 2012 में इस द्वीप के चुने हुए पहले लोकतांत्रिक राष्ट्रपति नाशीद की गिरफ्तारी के बाद से राजनीतिक संकट बना हुआ था। उन्हें देश छोड़ने पर मजबूर किया गया। उसी साल यमीन ने चुनाव में नाशीद को हरा दिया, जिससे राजनीतिक तनातनी और बढ़ गई। 

यमीन के राष्ट्रपति बनने के बाद उन पर आतंकवाद फैलाने के आरोप लगाए गए। नाशीद को जनवरी, 2016 में इलाज के लिए इंग्लैंड जाने की इजाजत मिल गई और उसके बाद से निर्वासन में ही रहे और फिलहाल श्रीलंका में रह रहे हैं।

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