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यूपी : श्रीराम की तपोभूमि में लाखों शिवभक्त करेंगे सृष्टि के प्रथम शिवलिंग का पूजन

चित्रकूट, 12 फरवरी : धर्म नगरी चित्रकूट में मन्दाकिनी नदी के रामघाट तट पर स्थित सृष्टि के प्रथम शिवलिंग स्वामी मत्यगेंद्रनाथ के जलाभिषेक और पूजन के लिए शिवरात्रि पर देश भर से लाखों श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगेगा। वहीं मंदिर और जिला प्रशासन शिवरात्रि पर चित्रकूट आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त करने में जुटा हुआ है। 

भगवान श्री राम की तपोभूमि चित्रकूट में मन्दाकिनी नदी के रामघाट तट स्थित स्वामी मत्यगेंद्रनाथ (भगवान शिव) मन्दिर का प्राचीन और गौरवशाली इतिहास है। मंदिर के पुजारी बिपिन बिहारी तिवारी इस प्राचीन शिव मंदिर की महिमा का बखान करते हुए कहते हैं कि मान्यता है कि इस मंदिर में विराजमान चार शिवलिंग में से एक शिवलिंग भगवान ब्रम्हा और एक भगवान श्री राम ने स्थापित की थी। 

ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना के लिए रामघाट स्थित यज्ञदेवी अखाड़ा में यज्ञ किया था। 108 कुंडीय यज्ञ से मदमस्त हाथी की तरह झूमता हुआ एक शिवलिंग प्रकट हुआ था, जिसकी स्थापना भगवान ब्रम्हा ने मत्यगेद्रनाथ के रूप में रामघाट में की थी और उनको चित्रकूट का क्षेत्रपाल नियुक्त किया था। इसीलिए जब भगवान श्री राम यहां पर वनवास काटने आए तो उन्होंने चित्रकूट निवास के लिए स्वामी मत्यगेंद्रनाथ से आज्ञा ली थी। इसके बाद श्रीराम ने खुद उस शिवलिंग के बगल में एक शिवलिंग की स्थापना की थी। ऐसी मान्यता है कि चित्रकूट आने पर यदि किसी ने मत्यगेंद्रनाथ के दर्शन नहीं किए तो उसको कामतानाथ के दर्शन और कामदगिरि की परिक्रमा का पूर्ण लाभ नहीं मिलता है। 

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महाशिवरात्रि पर रामघाट स्थित राजाधिराज मत्यगेंद्रनाथ स्वामी मंदिर में धार्मिक कार्यक्रमों की धूम रहेगी। भोलेनाथ की भव्य बारात निकलेगी, चार प्रहर की महाआरती के साथ साथ रातभर पूजन अनुष्ठान का दौर चलेगा। 13 फरवरी को शाम तीन बजे गाजे बाजे के साथ धूमधाम से राजाधिराज की बारात रामघाट मंदिर से निकलकर टैंपो स्टैंड, जयपुरिया तिराहा से पुराना सीतापुर, बस स्टैंड होकर वापस मंदिर पहुंचेगी। शाम साढ़े सात बजे पहली महाआरती, रात्रि 11 बजे दूसरी महाआरती, डेढ़ बजे रात तीसरी महाआरती और भोर में चार बजे चौथी महाआरती होगी। रातभर मंदिर में पूजन अनुष्ठान का दौर चलेगा। भगवान भोलेनाथ की बारात के लिए तैयारियां युद्ध स्तर पर जारी हैं। बग्गी में सवार होकर भोलेनाथ बारात में चलेंगे। साथ में युवाओं के जत्थे और संतों की टोलियां भी रहेंगी। 

कामदगिरि प्रमुख द्वार चित्रकूट के संत स्वामी मदन दास महाराज और भरत मंदिर के महंत दिव्य जीवन दास ने मंदिर की महिमा का बखान करते हुए बताया कि भगवान श्रीराम की वनवास स्थली चित्रकूट में अत्यंत प्राचीन ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थल है। रामघाट के पास स्थित मत्यग्येंद्रनाथ जी का मंदिर भी प्राचीन है। इसमें स्थापित शिवलिंग का शिवपुराण के अष्टम खंड के दूसरे अध्याय में मत्यग्येंद्र लिंग के बारे में वर्णन है। ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु की आज्ञा पर चित्रकूट के पवित्र पर्वत पर यज्ञ किया था, जिसमें शिवलिंग निकला। वही शिवलिंग मंदिर में स्थापित है। यहां जलाभिषेक करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। उन्होंने बताया कि जो मनुष्य प्रातः काल मंदाकिनी में स्नान कर मत्यग्येंद्रनाथ का पूजन करता है, उसके सभी मनोरथ पूरे होते हैं। शिवरात्रि पर तो जलाभिषेक और दर्शन-पूजन के लिए देश भर से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या लाखों में पहुंच जाती है। (हि.स.)।

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