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राज्यसभा चुनाव के लिए उप्र में शुरू हुई डिनर डिप्लोमैसी

-योगी समर्थन में आए असंतुष्ट ओमप्रकाश राजभर, नितिन अग्रवाल
-अखिलेश के रात्रिभोज में शामिल हुए शिवपाल, राजा भैया

लखनऊ (ईएमएस)। राज्यसभा चुनाव शुक्रवार 23 मार्च को होने हैं। अंतिम समय में सभी सियासी दलों में उठापटक जारी है। उत्तर प्रदेश की 10 राज्यसभा सीट पर होने वाले राज्यसभा चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी अपने तमाम विधायकों को एकजुट करने में जुटी है। इस बाबत बुधवार को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने डिनर पार्टी का आयोजन किया। इस दौरान पार्टी के तमाम विधायकों ने शिरकत की। डिनर पार्टी में अखिलेश यादव, चाचा शिवपाल यादव समेत निर्दलीय विधायक राजा भैय्या भी शामिल हुए। सपा की एक अन्य डिनर पार्टी गुरूवार 22 मार्च को को आयोजित की गई है। कांग्रेस और बसपा ने भी गुरूवार को ऐसे ही आयोजन किए हैं।

उत्तर प्रदेश में शुरू हुई डिनर डिप्लोमैसी के तहत योगी आदित्यनाथ ने भी डिनर पार्टी का आयोजन किया। योगी के डिनर में असंतुष्ट कैबिनेट सहयोगी ओमप्रकाश राजभर और सपा छोड़ हाल ही में भाजपा में शामिल हुए नरेश अग्रवाल के बेटे भी शामिल हुए। कांग्रेस और बसपा ने भी ऐसे ही आयोजन किए हैं। रात्रिभोज से पहले अखिलेश यादव ने भाजपा पर जमकर हमला बोला, उन्होंने कहा अगर भाजपा के अंदर नैतिकता होती तो वह नौंवा उम्मीदवार नहीं उतारती। उन्होंने कहा भाजपा मनमानी पर उतारू है, अगर भाजपा में जरा भी नैतिकता होती तो वह नौंवा प्रत्याशी नहीं उतारती।

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आपको बता दें कि भाजपा ने अतिरिक्त उम्मीदवार के तौर पर व्यवसायी अनिल कुमार अग्रवाल को मैदान में उतारा है। शिवपाल यादव ने कहा वह राज्यसभा चुनाव में सपा व बसपा समर्थित दोनों ही उम्मीदवार के लिए वोट करेंगे, मेरा आशीर्वाद हमेशा अखिलेश के साथ है। वहीं राजा भैया ने भी सपा व बसपा के उम्मीदवार को समर्थन देने की बात कही है। इस रात्रिभोज में सांसद जय बच्चन और डिंपल यादव भी मौजूद थीं। हालांकि सपा विधायक और नरेश अग्रवाल के बेटे नितिन अग्रवाल बैठक में शामिल नहीं हुए। वह योगी आदित्यनाथ द्वारा आयोजित बैठक में शामिल हुए थे।

राज्यसभा के नामांकन की तारीख खत्म होने से पहले 10 सीटों के लिए कुल 11 नामांकन किए गए हैं, जिसमे से 9 पर भाजपा, एक पर सपा और एक पर बसपा के उम्मीदवार ने नामांकन भरा है। तीनों ही पार्टी अपने उम्मीदवार की जीत को लेकर आश्वस्त हैं। राज्यसभा में पहुंचने के लिए उम्मीदवार को 37 विधायकों के समर्थन की जरूरत होती है। भाजपा के पास 300 से अधिक विधायक हैं, ऐसे में भाजपा आसानी से अपने 8 सदस्यों को राज्यसभा में भेज सकती है। सपा के पास 47 विधायक हैं, लिहाजा उसके पास एक सदस्य को राज्यसभा भेजने के बाद भी 10 अतिरिक्त वोट हैं। बसपा प्रमुख मायावती के पास कुल 19 विधायक हैं, ऐसे में उन्हें 18 अतिरिक्त विधायकों के समर्थन की जरूरत पड़ेगी ताकि वह अपने उम्मीदवार को राज्यसभा भेज सकें।

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