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ममता ने दो टूक कहा : नहीं लागू करूंगी आयुष्मान भारत योजना

कोलकाता के हाजरा में कोलकाता पुलिस की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कई बड़े दावे किए हैं। चक्रवात प्रभावितों के बीच राहत सामग्री वितरण में भ्रष्टाचार को लेकर उन्होंने विपक्ष पर केवल राजनीतिक लाभ के लिए हंगामा करने का आरोप लगाया। उन्होंने वाममोर्चा की पूर्ववर्ती शासन को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि जब बंगाल में माकपा का शासन था तब जनता से जुड़ी हर एक योजना में 100 फ़ीसदी भ्रष्टाचार होता था। वर्तमान सरकार 90 फ़ीसदी भ्रष्टाचार को रोकने में सफल रही है। उन्होंने कहा कि चक्रवात पीड़ितों के बीच राहत सामग्री वितरण को लेकर दो तीन जगहों पर भ्रष्टाचार हुए हैं। राज्य सरकार ने इसके खिलाफ कार्रवाई शुरू की है। लेकिन केवल दो-तीन मामलों को लेकर विपक्ष इसे जान-बूझकर बड़े तौर पर पेश कर रहा है ताकि इसका राजनीतिक लाभ ले सके।

आयुष्मान भारत योजना को बंगाल में कभी भी लागू नहीं करने की घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, “वे (भाजपा) कहते हैं आयुष्मान भारत योजना को लागू करने को, लेकिन मैं ऐसा नहीं करूंगी। वे (केंद्र) इस योजना का केवल 40 फ़ीसदी हिस्सा का वित्तपोषण करेंगे और इसका पूरा क्रेडिट लेने की कोशिश करेंगे। आयुष्मान भारत से दो साल पहले मैंने “स्वास्थ्य साथी” योजना को लागू किया था जिसका 100 फ़ीसदी भुगतान राज्य सरकार करती है। ऐसे में आयुष्मान भारत योजना को लागू करने का कोई औचित्य नहीं बनता है।”

राहत सामग्री वितरण में भ्रष्टाचार पर सफाई देते हुए ममता ने दावा किया कि पश्चिम बंगाल में दूसरे राज्यों की तुलना में भ्रष्टाचार सबसे कम है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार सीधे किसानों से राशन खरीदती है जो राज्य के लोगों को वितरित किए जाते हैं, जबकि केंद्र सरकार फ़ूड कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया (एफसीआई) के जरिए जो चावल देती है, वह सड़ा हुआ होता है।

उल्लेखनीय है कि कोरोना संकट के समय केंद्र सरकार की ओर से प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत गरीबों के बीच मुफ्त राशन वितरण हो रहा है। देश भर में वितरित होने वाले चावल की गुणवत्ता बेहतर रही है और राज्यपाल, जगदीप धनखड़ ने कई तस्वीरें, वीडियो आदि साझा किए हैं। लेकिन अब ममता बनर्जी ने दावा किया है कि फ़ूड कारपोरेशन ऑफ इंडिया से मिलने वाला चावल सड़ा हुआ है। (एजेंसी, हि.स.)

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