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UP:राष्ट्रोदय समागम कार्यक्रम में पर्यावरण सुरक्षा पर रहा पूरा जोर

मेरठ, 25 फरवरी : रविवार को आयोजित हुआ राष्ट्रोदय स्वयंसेवक समागम कई इतिहास रच गया। संघ के इतिहास में राष्ट्रोदय सबसे बड़ा आयोजन तो था ही, इस राष्ट्रोदय ने पर्यावरण सुरक्षा पर भी सबसे ज्यादा जोर दिया। यह समागम पूरी तरह से पर्यावरण हितैषी रहा। विशिष्ट अतिथि जैन मुनि विहर्ष सागर जी महाराज ने भी पर्यावरण सुरक्षा पर जोर दिया।

जागृति विहार एक्सटेंशन में आयोजित हुआ राष्ट्रोदय समागम संख्या की दृष्टि से आरएसएस का अभी तक का सबसे बड़ा आयोजन था। इस आयोजन की तैयारियां चार महीने से की जा रही थी। पर्यावरण सुरक्षा को लेकर राष्ट्रोदय समागम में पूरा ध्यान रखा गया। खाने-पीने से लेकर अन्य कार्यों में पाॅलीथीन और प्लास्टिक को पूरी तरह से बैन कर दिया गया था।

कागज के लिफाफे में इकट्ठा हुआ भोजन

राष्ट्रोदय समागम में आए लाखों स्वयंसेवकों के खाने-पीने का इंतजाम अनूठे तरीके से किया गया। पर्यावरण की रक्षा के लिए तीन लाख घरों से खाना इकट्ठा कराया गया। इसके लिए कागज से बने लिफाफों का प्रयोग किया गया जिससे खराब होने पर वह आसानी से नष्ट किया जा सके। इसके साथ ही राष्ट्रोदय स्थल पर एक महीने से चल रहे भोजनालय में भी केरल से मंगवाई गई सुपारी के छिलकों से बनी प्लेट का प्रयोग किया गया। भोजन करने के बाद यह प्लेट आसानी से नष्ट हो जाती है और इससे पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होता। पानी की बोतलों को एक जगह इकट्ठा करके नष्ट कराया जाएगा।

जैन मुनि ने दिया पानी बचाने पर जोर

राष्ट्रोदय में जैन मुनि विहर्ष सागर महाराज ने अपने अनूठे अंदाज में पानी बचाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जैन संत प्रकृति को सहेजने के लिए कार्य करते हैं। इसलिए जैन मुनि महीनों में नहाते हैं और दिन में केवल एक बार भोजन करते हैं और पानी पीते हैं। केश लोचन भी चार महीने में एक बार किया जाता है। स्वयंसेवकों को प्रकृति को बचाने के लिए भी कार्य करना होगा। (हि.स.)।

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