लखनऊ में उर्दू यूनिवर्सिटी के लिए योगी सरकार दे सकती है जमीन
Uttar Pradesh.लखनऊ, 15 अप्रैल (हि.स.)। प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी को लखनऊ कैम्पस के लिए जमीन मिल सकती है। यह अटकलें विश्वविद्यालय के कुलपति जफर सरेशवाला की बीतें दिनों मुख्यमंत्री से मुलाकात की बाद लगायी जा रही है। इस मुलाकात के दौरान सरेशवाला ने परिसर के लिए जगह उपलब्ध कराने का अनुरोध किया। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री की ओर से सकारात्मक जवाब दिया गया है। हालांकि इस सम्बन्ध में सरकार की ओर से आधिकारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है।
सरेशवाला की मुख्यमंत्री से मुलाकात इसलिए भी अहम मानी जा रही है, क्योंकि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कट्टर समर्थक हैं। 1998 में स्थापित की गई मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी का मकसद उर्दू भाषा को बढ़ावा देना है। वहीं जफर सरेशवाला वर्ष 2015 में इसके कुलपति बने।
सरेशवाला के मुताबिक प्रदेश के मदरसों के आधुनिकीकरण और उत्तर प्रदेश मदरसा तालीमी बोर्ड को मजबूती प्रदान करवाने के सम्बन्ध में उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से बात की। सूबे में करीब 48 हजार मदरसे हैं, जिनको सरकार से आर्थिक सहायता मिलती है। हालांकि काफी कोशिशों के बावजूद इन मदरसों की स्थिति में सुधार नहीं हुआ है।
सरेशवाला के मुताबिक सीएम योगी आदित्यनाथ ने मई के तीसरे हफ्ते में आयोजित होने वाले तालिम-ओ-तरबियत कार्यक्रम में में बतौर मुख्य वक्ता शामिल होने को लेकर अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी है। इस आयोजन के जरिए अल्पसंख्यक समुदाय में शिक्षा के प्रचार-प्रसार पर जोर दिया जाता है।
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सरेशवाला को उम्मीद है कि योगीराज में उत्तर प्रदेश सरकार अल्पसंख्यकों के विकास में अन्य वर्गों की तरह काम करेगी। वहीं मुख्यमंत्री भी केन्द्र सरकार की तर्ज पर सबका साथ सबका विकास के आधार पर प्रदेश को आगे बढ़ाने की बात करते आये हैं। इसलिए अगर प्रदेश सरकार उर्दू यूनिवर्सिटी को लेकर जमीन उपलब्ध कराती है तो उसे अल्पसंख्यक विरोधी बताने वालों को करारा जवाब मिल सकता है। मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी के देश में 11 कैम्पस हैं।