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गर्मी से निजात पाने के लिए करते हैं ये सब तो हो जाइए सावधान !!

मुंबई (ईएमएस)। अगर आप भी तपती गर्मी से निजात पाने के लिए बर्फ से बनने वाली चीजों की ओर रुख कर रहे हैं, तो सतर्क हो जाएं। हाल में बीएमसी द्वारा बर्फ के गोले, शरबत और जूस की दुकानों से जांच के लिए बर्फ के ढेरों नमूने लिए गए थे। इस जांच में करीबन 95 प्रतिशत बर्फ के नमूने ‘फेल’ हो गए और खाने-पीने लायक नहीं पाए गए। वहीं 74 प्रतिशत बर्फ के नमूनों में पेट की बीमारी फैलाने वाले ई-कोलाई बैक्टिरिया पाए गए। इसकारण डॉक्टरों ने सड़क किनारे लगने वाली जूस की दुकानों और बर्फ से बनने वाले अन्य उत्पादों से दूरी बनाने की सलाह दी है। मुंबई में इन दिनों तापमान के तेवर चढ़े हुए हैं।

नतीजतन लोग गर्मी से राहत पाने के लिए बाहर खुले में बिकने वाले बर्फ मिश्रित पेय पदार्थों का सेवन कर रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, फरवरी में बीएमसी द्वारा 363 बर्फ के नमूने होटलों, जूस स्टॉल और डिस्ट्रिब्यूटर्स से कलेक्ट किए गए थे। जांच में 363 नमूनों में 346 नमूने खाने योग्य नहीं थे,जबकि 270 नमूनों में ई-कोलाई बैक्टिरिया होने की बात सामने आई। केईएम अस्पताल के डीन डॉ.अविनाश सुपे कहते हैं, ई-कोलाई बैक्टिरिया से लोगों में चेस्ट व लिवर इंफेक्शन,जुलाब,उल्टी, बुखार आदि की समस्या हो सकती है। ऐसे में बचाव के मद्देनजर बाहर के अस्वच्छ खाने-पीने वाली चीजों से परहेज करना चाहिए।

दूषित खाद्य और पेय पदार्थों के सेवन से पेट संबंधी समस्या होती है। ऐसे में डॉक्टरों द्वारा स्वच्छ और ताजा खाना खाने की सलाह दी जाती है। हालांकि दौड़ती-भागती जिंदगी में इन बातों का ध्यान रखना लोगों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण है। शायद यही वजह है कि महानगर में पेट से संबंधित बीमारियों के मामले में बढ़ोतरी हो रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, जनवरी से फरवरी के बीच मुंबई में 1362 लोगों को पेट से जुड़ी बीमारियों की वजह से अस्पताल के चक्कर लगाने पड़े। आंकड़े के अनुसार, इस वर्ष जनवरी में 722 और फरवरी में 640 लोग गैस्ट्रो बीमारी की चपेट में आए, जबकि पिछले साल जनवरी में यह आंकड़ा 635 और फरवरी में 578 था। संक्रामक रोग विशेषज्ञ डॉ. ओम श्रीवास्तव ने बताया कि ई-कोलाई बैक्टिरिया पेट की बीमारियों को जन्म देने का एक मुख्य कारण है। यह बैक्टिरिया दूषित खाने और पानी में पाए जाते हैं, जो शरीर में जाकर पेट की बीमारियों को जन्म देते हैं।

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