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दिनचर्या में हम अक्सर भूला देते हैं अपने शरीर को

नई दिल्ली (ईएमएस)। हम अपनी रोजाना की दिनचर्या में हमेशा ही अपने शरीर की ओर ध्यान नहीं देते हैं और उसे भूला देते हैं। दौड़-भाग करते हुए हम उस तन के बारे में नहीं सोचते, जो हमेशा हमारा साथ देता रहा है। ये नहीं सोचते कि आगे भी तो उसका ही साथ लेना है। हममें से ज्यादातर लोग अपने शरीर में रहते ही नहीं हैं। हमें अपने सांस लेने, हिलने-डुलने, शरीर के आकार-प्रकार और महसूस करने की ताकत का अंदाजा ही नहीं होता। हम अपने दिमाग की ताकत पर ज्यादा इतराते हैं और अपने शरीर को बेढंगा व गैरजरूरी मान लेते हैं। मैं इस विश्वास के साथ जीती हुई बड़ी हुई हूं कि जो कुछ है, वह बुद्धिमता ही है।

मैंने अपने शरीर का कभी पूरी तरह से ख्याल रखा ही नहीं। ना ही यह समझा कि मेरा शरीर, मेरे मिजाज, मेरे संबंधों और मेरे जीवन को प्रभावित करता है। मेरे लिए मेरा शरीर, मेरे दर्द और शर्मिंदगी का कारण ही रहा और मैंने यह धारणा मजबूत कर उससे पूरी तरह से नाता तोड़ लिया कि मेरा दिमाग ही सबसे ताकतवर है और बाकी सब उसके सामने गौण हैं। मैंने अपने शरीर को अनदेखा किया और एक संतुलित जीवन जीने में इसकी समझदारी और महत्व को नजरअंदाज करती रही। मैं अपने तनाव को लेकर हर जगह घूमती रही कि मेरा पॉस्चर ही मेरे पीठ दर्द की वजह है। मुझे सिरदर्द भी लगातार रहता है। मैंने न कभी अपने शरीर की परवाह की, न कभी उसकी इच्छाओं की। मुझे इस बात की परवाह ही नहीं थी कि मुझे कैसा महसूस हो रहा है? मैं कैसे चल रही हूं और सो रही हूं। सब कुछ अजीब तरीके से हो रहा था। मैंने कभी अपने शरीर को महत्व दिया ही नहीं।

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