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पूर्व सांसद जांबुवंतराव धोते का हार्ट अटैक से निधन.

Maharashtra.मुम्बई, 18 फरवरी = स्वतंत्र विदर्भ के कट्टर समर्थक पूर्व सांसद जांबुवंतराव धोटे का 83 वर्ष की उम्र में यवतमाल के शासकी महाविद्यालय में हार्ट अटैक से निधन हो गया। धोटे पांच बार विधायक और दो बार सांसद चुने गए थे। धोटे स्वतंत्र विदर्भ के समर्थक होने के साथ ही विदर्भ के किसानों की समस्याओं को आक्रामकता से उठाते थे।

kbn 10 news DHOTEगौरतलब है कि स्वतंत्र विदर्भ की मांग को उठाने के कारण पूर्व सांसद जांबुवंतराव धोटे को ‘विदर्भवीर’ के रूप में संबोधित किया जा रहा था। विदर्भ से कांग्रेस विधायक व सांसद बनने पर लगातार विदर्भ के संदर्भ में आवाज बुलंद करने वाले धोटे ने अंततोगत्वा कांग्रेस से अलग होकर विदर्भ जनता कांग्रेस पार्टी की स्थापना की। विदर्भ को लेकर लगातार आवाज बुलंद करने वाले धोटे के निधन से वहां शोक की लहर व्याप्त है। धोटे अपने पीछे क्रांति धोटे-राउत और ज्वाला धोटे-भोयर, पूर्व विधायक विजया धोटे का समावेश है।

धोटे 1958 में मनपा विद्यालय में शिक्षक के रूप में नियुक्त हुए और 1959 में जवाहरलाल दर्डा को पराजित करके नगरसेवक बन गए। 1962 में फॉरवर्ड ब्लॉक पार्टी से यवतमाल से विधायक चुने गए। 1964 में विधायक होते हुए विधानसभा अधिवेशन के दौरान अकाल पर चर्चा न करने देने से नाराज होकर सभागृह में विधानसभा अध्यक्ष बालासाहेब भारदे को पेपर वेट फेंक कर मारा था। इस पर उनके विधायक पद को रद्द कर दिया गया था। विधायकी रद्द होना देश की पहली कार्रवाई थी। 1964 में पुन: चुनाव होने पर उन्होंने चुनाव लड़ा और कांग्रेस उम्मीदवार को पराजित करके विधायक बने।

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1967 में विधायक रहते हुए लोकसभा का चुनाव लड़ा और हार का सामना करना पड़ा। 1971 में इंदिरा गांधी की लहर होने के बावजूद वे फॉरवर्ड ब्लॉक पार्टी से नागपुर से सांसद चुने गए। 1978 में पुन: यवतमाल से विधायक चुने गए। इसी बीच विधानसभा में कांग्रेस से गठबंधन करके इंदिरा गांधी के साथ महाराष्ट्र में घूम-घूमकर प्रचार किया। इसमें सबसे बड़ी सफलता फॉरवर्ड ब्लॉक पार्टी को मिली और उसके 19 विधायक चुनकर आए। 1980 में नागपुर से लोकसभा का चुनाव कांग्रेस के बैनर से लड़ा और विजयी हुए। धोटे ने अलग विदर्भ, विणकर आंदोलन, अंग्रेजी भाषा के विरोध में आंदोलन और अकोला में कृषि विश्वविद्यालय के लिए 1968 में बड़ा आंदोलन किया।

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