बिहारराज्य

शराब कारोबार में लगे माफिया को मद्दत करने के आरोप में ,2 दारोगा और एक जमादार बर्खास्त

पटना, सनाउल हक़ चंचल-15 जून : बिहार में शराबबंदी के 14 माह बाद शराब कारोबारियों के साथ अवैध धंधे में संलिप्त पाए जाने के बाद दो दारोगा और एक जमादार को बर्खास्त कर दिया गया। सेंट्रल रेंज के डीआईजी राजेश कुमार  ने बेउर थाने में चार माह पहले तैनात दारोगा विश्वम्भर प्रसाद व सुनील कुमार और जमादार श्रवण कुमार को बुधवार को बर्खास्त कर दिया। शराबबंदी के बाद यह पहली बड़ी कार्रवाई है।

चार माह पहले बेउर थाना इलाके में शराब पकड़े जाने और फिर शराब कारोबारियों को छोड़ देने के बाद एसएसपी ने इस थाने के थानेदार समेत सभी दो दर्जन पुलिस कर्मियों व अधिकारियों को लाइन हाजिर कर दिया था। इसके बाद तत्कालीन डीआईजी शालीन ने जांच का जिम्मा सिटी एसपी वेस्ट रवींद्र कुमार को दिया था। जांच में सिटी एसपी ने विश्वम्भर, सुनील और श्रवण को दोषी पाया और इसकी रिपोर्ट डीआईजी राजेश कुमार को सौंपी थी। फिलहाल तीनों पुलिस लाइन में तैनात थे।

अब तक निलंबन और थानेदारी छीनने की ही हो रही थी कार्रवाई : शराबबंदी के बाद पिछले साल एक साथ पटना जिला के दो और  बिहार के विभिन्न जिलों के दस थानेदारों को निलंबित कर दिया गया था। यही नहीं पुलिस मुख्यालय ने इन थानेदारों को 10 साल तक थानेदारी से वंचित कर दिया था। इसके अलावा शराब मिलने पर संबंधित थाने के थानेदारों को निलंबित किया जाता रहा है।

नए बिहार उत्पाद कानून में पद के दुरुपयोग पर 3 साल तक की सजा : नया बिहार उत्पाद कानून-2016 को और सख्त किया गया है। साथ ही इसका दुरुपयोग नहीं हो इसके भी प्रावधान किए गए हैं। उत्पाद और पुलिस अधिकारियों को तीन महीने से तीन साल तक की सजा और एक लाख से 10 लाख तक जुर्माने का प्रावधान है।

डीआईजी बोले-जांच में दोषी पाए जाने पर हुई बर्खास्तगी  

डीआईजी पटना राजेश कुमार नेे बताया कि सुनील, विशंभर व श्रवण के साथ बेउर थाने के 30 पुलिसकर्मियों को फरवरी में निलंबित कर लाइन हाजिर किया गया था। थानेदार धीरेंद्र पांडेय समेत 30 पुलिसवालों के शराब कारोबारियों से मिलीभगत की जांच सिटी एसपी को सौंपी थी। सिटी एसपी ने तीनों को दोषी पाया।

पुलिस एसोसिएशन ने कहा- डीजीपी से मिल रखेंगे बात

पुलिस एसोसिएशन के अध्यक्ष मृत्युंजय सिंह ने बताया कि पहले देखेंगे कि बर्खास्तगी का आधार क्या है। जांच में इन तीनों के खिलाफ क्या-क्या साक्ष्य पाया। एसोसिएशन इस बाबत डीजीपी पीके ठाकुर से मिलकर उनसे अपनी बात रखेगा। अगर ठोस साक्ष्य है तो कार्रवाई होनी चाहिए नहीं तो ये लोग न्यायालय जाएंगे।

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