Home Sliderखबरेदेशनई दिल्ली

SC : यौन अपराधों से संबंधित नेटवर्किंग साइट्स पर रोक की रिपोर्ट हफ्तेभर में दाखिल करें

नई दिल्ली, 20 अप्रैल (हि.स.)। सुप्रीम कोर्ट ने यौन अपराधों से संबंधित वीडियो इंटरनेट और सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर रोकने के लिए विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट एक सप्ताह में दाखिल करने का निर्देश केंद्र सरकार को दिया है। इस मामले पर अगली सुनवाई 8 मई को होगी। याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा कि साइबर सेल इस संबंध में एक रिपोर्ट तैयार कर रही है। केंद्र ने कहा कि उस रिपोर्ट में विशेषज्ञों की राय होगी जिसमें ऐसे वीडियो इंटरनेट पर रोकने के लिए तरीके बताएगी।

इसके पहले 22 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने यौन अपराधों से संबंधित वीडियो रोकने के लिए उच्च स्तरीय कमेटी बनाने का दिशानिर्देश जारी किया था। जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस यूयू ललित की बेंच ने इस उच्चस्तरीय कमेटी को निर्देश दिया था कि वे कोर्ट को बताएं कि ऐसे वीडियो अपलोड करने से रोकने के लिए क्या क्या कदम उठाये जा सकते हैं।

इस्तीफे के बाद बोली बरखा शुक्ला , अयोग्य हैं राहुल गांधी !

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने इंटरनेट कंपनियों को ये निर्देश दिया था कि वे एक साथ बैठकर उन तकनीकी उपायों को तलाशें जिनसे ऐसे वीडियो सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर अपलोड न किए जा सकें। इसके पहले सुनवाई के दौरान साइबर विभाग के महानिदेशक ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि उन्होंने चाइल्ड पोर्नोग्राफी शब्द को ब्लॉक कर दिया है। हालांकि उन्होंने कहा कि रेप और गैंगरेप जैसे शब्दों को ब्लॉक करने में कानूनी दिक्कतें हैं।

पहले की सुनवाई में केंद्र ने कहा था कि सायबर अपराधों के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय और सीबीआई नोडल एजेंसी है। यौन अपराधों के अभियुक्तों के नाम सार्वजनिक किए जाने पर अभी विचार विमर्श जारी है। केंद्र ने कहा था कि नाम तभी सार्वजनिक किए जाएं जब कोर्ट उन्हें दोषी करार दे। इस पर कोर्ट ने कहा था कि यौन अपराधियों का नाम तभी सार्वजनिक किया जाए जब कोर्ट उन्हें दोषी करार दे। इससे उसकी छवि खराब होती है।

आपको बता दें कि प्रजावाला एनजीओ ने तत्कालीन चीफ जस्टिस एचएल दत्तु को एक पत्र के साथ रेप के दो वीडियो पेन ड्राईव में भेजे ते जिस पर कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इस मामले पर सुनवाई शुरु की थी।

Related Articles

Back to top button
Close