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अब खिलाड़ी बड़े लक्ष्य के सामने घबराते नहीं : सचिन

नई दिल्ली, 24 मई = महान बल्लेबाज बादशाह सचिन तेंदुलकर ने 1996 और 2003 में विश्व कप का खिताब न जीत पर अफसोस जताते हुए कहा कि उस समय 358 का स्कोर एवरेस्टनुमा दिखाई देता था। आज भी यह वैसा ही स्कोर होगा, लेकिन 2003 के मुकाबले अब यह उतना मुश्किल नहीं लगेगा। अब 434 का भी पीछा किया जाता है। सचिन ने कहा कि हमने भी कई बार तीन विकेट पर 325 रन बना रखे हैं। यह सब इस कारण हैं कि फॉर्मेट बदला है, नियम भी कुछ बदले हैं और परिस्थितियां भी बदली है।

सचिन ने कहा कि टी-20 के आगमन से खेल के प्रति खिलाड़ियों का नजरिया बिल्कुल बदल चुका है।यदि हमें 2003 का फाइनल आज खेलने दिए जाए तो खिलाड़ियों का मैच के प्रति नजरिया ही कुछ अलग होगा। हम सभी उस मैच में पहले ही ओवर से उत्साहित थे। वह एक बड़ा क्षण था।

अपने जीवन पर बनी फिल्म ‘सचिन: ए बिलियन ड्रीम्स’ के प्रचार में लगे मास्टर ब्लास्टर ने एक साक्षात्कार में कहा कि मुझे लगता है कि टी-20 के आने से सोच भी बदल गई है। अब खिलाड़ी बड़े लक्ष्य के सामने घबराते नहीं है, इसलिए मैं कह रहा हूं कि अब हमारा दृष्टिकोण अलग होता। सचिन का विश्वकप जीतने का यह सपना 2011 में पूरा हुआ।

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मास्टर ब्लास्टर ने कहा कि वास्तव में कुछ टीमों ने दो या उससे ज्यादा बार ऐसा किया है। वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया ने यह करिश्मा किया। भारत ने भी 2011 में दूसरी बार यह ट्रॉफी उठाई।

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