मुंबई

किन्नरों को कब इंसान समझेगा समाज ; खुश्बू

(जयशंकर सिंह)

मुंबई :=राजस्थान के कोटा के गोदी स्थित रघुनाथ पूरा  के एक  सरकारी स्कूल के मास्टर के घर जन्मी  खुश्बू  [ धीरज ]   समाज से जुड़ा  वह ब्यक्ति है जिन्हे इंसान से  ज्यादा भगवान से दुःख है की आखिर हमें क्यों ऐसा बनाया की हम ना नर में रह पाये ना नारी में . यह वह किन्नर [ हिजड़े ,या छक्के ] है जो समाज को कलंकित करने का काम नहीं करते अपनी कला कौसल से किसी पर बोझ नहीं बनना चाहते है और जीवन में वह हौसला रखते है की ईमानदारी से कुछ कर गुजरे . इसीलिए यह लोग बॉलीवुड ,और पॉलीवुड से जुड़े हुए है . वर्तमान  समय में मुंबई के उपनगर गोरेगाव के मोतीलाल नगर में रहने वाला धीरज भोजपुरी की कई फिल्मो सहित बॉलीवुड की बन रही फिल्म wo….men  में मुख्य किरदार निभा रही है . लेकिन समाज के लोगो से मिलने वाली दुत्कार से वह दुखी होकर कहती है की सरकार ने किन्नरों को भले ही कागज़ पर मान्यता दे दी हो, लेकिन किन्नर ना बनकर आम आदमी के बीच आम लोगो की तरह जीवन ब्यतीत करने का सपना सजोनेवाले किन्नरों का  अपना दुखड़ा सुनाना भी हो तो वह आखिर कहा जाए                 .

सामाजिक सुरक्षा का अभाव

तमाम किन्नरों का अपना एक ही दुःख है कि वह आखिर अपनी ब्यथा किसे सुनाये कहते हुए धीरज की आँखों में कभी ना थमने वाला आंसू निकल पड़ता है उन्ही आँसू को पोछते हुए धीरज का दुःख ब्यक्त होता है नौकरी पेशा में दो सगे भाई शंकरलाल मीणा जो किशान है और एक भाई जगदीश मीणा है और शादीशुदा  बहन को छोड़कर  कई सालो से मुंबई में रहने वाली धीरज भले ही किन्नर समाज के लिए खुशबु है लेकिन फ़िल्मी जगत के लोग उसे धीरज के नाम से जानते है . किन्नर समाज की श्रीदेवी गुरु और शाहनाज नानी का धन्यबाद देते हुए धीरज कहते है की इन लोगो ने मुझे खूब प्रोत्साहन दिया है और मुझे आगे बढ़ने में मदद किया . इन किन्नरों का दुःख यह है की आते जाते लोग इन्हे छेड़ने से बाज नहीं आते . मालवणी की एक घटना सुनाते हुए धीरज ने कहा की कुछ शराबी शराब के नशे में उसे छेड़ रहे थे लाख मिन्नतें करने पर भी की वह सामाजिक है उसके साथ छेड़खानी होती रही. पुलिस थाने जाने पर अलग से छेड़खानी का शिकार होना पड़ा. धीरज ने सिर्फ इतना कहा की जिस दिन समाज हमें अपना लेगा हमें भी इंसान समझेगा ,हमारा दर्द भी उन्हें पता चलेगा हमारा मखौला  नहीं बनाएगा उस दिन पता चलेगा की हम भी इंसान है और इंसानो की तरह ही हमारी कार्य है , अभी मेरा एक किन्नर मित्र ४० हजार रुपया लेकर भाग गया यह कहते हुए वह खुद रोने लगती है .

ऐसे करते है किन्नरों की अंत्यविधि 

लोगो के मन में किन्नरों को लेकर कई शंकाए है जैसे उनकी शव यात्रा कैसे निकलती है ? उनका जनाजा कहा ले जाते है . आम आदमी  की तरह उनका भी क्रियाक्रम अगर वह मुसलमान समाज का है तो ३ दिन पर जिआरात १० दिन पर दसवां और चालीसवा करते है हिंदुओ का तेरही और सुध करते है तो किन्नरों का क्या ? इस बात पर पहले तो खुशबु ने कुछ कहने पर आनाकानी की लेकिन फिर बुझे मन से बताया की हमारे समाज में हमारे नायक होते है ,हमारी नानी होती है ,हमारी दादी होती है हम लोग एक परिवार की तरह रहते है. हमारे मुंबई में ७ इलाके है जिसको घराने बोलते है ऐसे ७ घराने है ,जिनमे भिन्डी बाजार ,चकला बेलन ,लस्कार और अन्य ४ है जो खुशबु को पता नहीं है . खुशबु के मुताबिक़ किन्नरों के मरने पर उनको हमारे घराने में ही दफ़न किया जाता है . १२ दिन के बाद उसके नाम का भोज रखते है जिसे रोटी कहते है . मरने के बाद किन्नरों का दर्शन सिर्फ अपने समाज को कराया जाता है .

देश में 20 लाख से ज्यादा किन्नर

भारत में 20 लाख से ज्यादा किन्नर हैं.और निरंतर इनकी संख्या घाट रही है , मगर फिर भी इनको संतान मिल ही जाती हैं . ये संतान का लालन-पालन बड़े अच्छे ढंग से करते हैं.बनी प्रथा के अनुसार बालिग़ होने पर संस्कार द्वारा किसी को बिरादरी में शामिल किया जाता है शुद्धिकरण के उपरांत उसे सम्मान पूर्वक मंच पर बिठा कर उसकी जननेंद्रिय काट दी जाती है और उसे हमेशा के लिए साड़ी गहने  और चिड़िया  पहनाकर नया नाम देकर बिरादरी में शामिल कर लिया जाता है . मनुष्य के रुप में जन्म लेने के बावजूद किन्नर अभिशप्त जीवन जीने के लिए मजबूर है . किन्नरों के साथ होने वाले सामाजिक भेदभाव से ऊन का मनोबल टूटता है उनके लिए ना रोजगार की व्यवस्था है और ना ही उनकी खुद की कोई परिवार जैसी इकाई है . मानवाधिकार उल्लंघन और मानव अधिकारों की बदतर स्थिति की चर्चा की जाती है लेकिन कई मूलभूत सुविधाओं से वंचित समाज की प्रताड़ना के शिकार किन्नरों की स्थिति पर बहुत कम लोगों का ध्यान जाता है

आजादी पर प्रहार

अंधेरी आरपीएफ ने 2015 में कुल 33 किन्नरों पर रेलवे एक्ट के तहत कार्यवाही की और उनसे कुल 35  हजार के करीब रुपए वसूले . एक तरफ कुछ किन्नर इसे अपनी आजादी पर प्रहार बताते हैं . वही अंधेरी आरपीएफ  के आयपीएफ मनीष सिंह राठौड़ ने बताया कि हमारे लिए सब बराबर है जो भी रेलवे कानून का उल्लंघन करेगा हम उस पर कार्यवाही करेंगे.

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