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ट्रेन के चपेट में आने से वृद्ध की मौत, सत्याग्रह पर बैठा आर्मी जवान

लखनऊ, 03 अक्टूबर(हि.स.)। राजधानी के गोमतीनगर थाना क्षेत्र के जनेश्वर मिश्र पार्क के निकट ग्वारी रेलवे क्रासिंग के पास मंगलवार सुबह एक वृद्ध की रेल की चपेट में आने से मौत हो गई। इस घटना से क्षुब्ध प्रत्यक्षदर्शी एक आर्मी का जवान उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के स्वास्थ्य तथा पुलिसिया लापरवाही के खिलाफ धरना पर बैठ गया है। 

वह गोमती नगर थाना के समीप अपने बेटे अनिमेश पालिवाल तथा घटना की प्रत्यक्षदर्शी राहुल सिंह को लेकर शहीद कैप्टन मनोज पाण्डेय चौराहा पर धरने पर बैठे हैं।

घटना की प्रत्यक्षदर्शी आर्मी जवान नितीन पालिवाल ने बताया कि उस वृद्ध की मौत पुलिस तथा स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही से हुई है, उसे बचाया जा सकता था। इस हादसे की सूचना जब 100 नम्बर और एम्बुलेस सेवा को दिया तो घटना स्थल पर पुलिस और एम्बुलेस को पहुंचने में करीब 45 मिनट लग गया। देर होने पर मैं अपने बेटे को फोन करके अपनी गाड़ी मंगार्इं और उस घायल वृद्ध को तथा ट्रेन के चपेट में आने से कटे दोनों पैर के टुकड़े को ढूंढकर रखा। मेरी गाड़ी खून से लथपथ हो गई। उसी दौरान एम्बुलेस व पुलिस मौके पर पहुंची, तो मैंने कहा कि इन्हें एम्बुलेस में लादकर अस्पताल पहुंचाइए, इतने पर पुलिस कांस्टेबल रामलखन व एम्बुलेस कर्मी मुझे ही गाली-गलौज के बाद मारने लगे और गाड़ी का नम्बर नोट कर देख लेने की धमकी देने लगे। 

मैं पुलिस व स्वास्थ्य विभाग की इस लापरवाही के खिलाफ न्याय के लिए सत्याग्रह पर बैठा हूं। इनके अन्दर इंसानियत नाम की कोई चीज नहीं है। कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पुलिस व्यवस्था तथा स्वास्थ्य विभाग के सिस्टम को ठीक करना पड़ेगा। इनकी लापरवाही से सरकार बदनाम हो रही है। 

ट्रेन हादसे के शिकार हुये गोमती नगर के विराम खण्ड निवासी जगनारायण सिंह(80) के पुत्र नागेन्द्र सिंह ने बताया कि वह सुबह टहलने के लिए निकले थे। घटना कैसे हुई, इसकी जानकारी नहीं हैं। इस हादसे की सूचना कुछ लोगों ने दिया। ट्रेन हादसे के शिकार जगनारायण सिंह को राममनोहर लोहिया अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

धरने पर बैठे आर्मी जवान नितिन पालीवाल ने कहा कि न्याय के लिए धरने पर उपवास बैठा हूं। सरकारी महकमे से जुड़े लोगों की संवेदनाएं मर चुकी हैं। एक व्यक्ति को बचाने के लिए जिस प्रकार से पुलिस ने मेरे साथ बर्ताव किया, उन्हें सजा मिलनी चाहिए। बताया कि एम्बुलेस में स्ट्रेचर के अलावा न तो कोई चिकित्सक था और न ही आॅक्सीजन। बताया कि हादसे के शिकार वृद्ध का सिर्फ पैर कटा हुआ था, अगर समय रहते पुलिस और एम्बुलेस पहुंचा होता तो उसे बचाया जा सकता था।

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