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रामजन्मभूमि मसले पर सुलह समझौते का अब कोई औचित्य नहीं: नृत्य गोपाल दास

Uttar Pradesh.अयोध्या, 24 मार्च = श्रीराम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष और मणिराम दास छावनी अयोध्या के महंत नृत्य गोपाल दास महाराज ने कहा कि श्रीराम जन्म भूमि को लेकर सुलह समझौते का अब कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने कहा कि न्यायालय साक्ष्य मांगता है? जो हिन्दुओं के पक्ष में है। फिर बातचीत कैसी और क्यों?

उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय का यह देश सम्मान करता है परन्तु सुझाव का अब कोई औचित्य नही है। न्यायालय के प्रति पीड़ित की बड़ी उम्मीद रहती है परन्तु यहां पर पीड़ित को ही सुझाव दिया जा रहा है कि वह सुलह समझौता का प्रयास करे।

न्यास अध्यक्ष ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिये गये सुझाव के उपरांत मीडिया और सुलह समझौता वादियों की सक्रियता पर इसे बेवजह तूल देना बताया और कहा कि इतिहास गवाह है कि भगवान श्रीकृष्ण ने कौरवों से समझौते का भरसक प्रयास किया परिणाम महाभारत, यही नहीं देश की आजादी बड़े संघर्ष के उपरांत प्राप्त हुई। उसके बाद इस राष्ट्र का विभाजन और पाकिस्तान जैसे सांप का जन्म हुआ जिसके डंस से आज भी देश की जनता मारी जा रही है। क्या समझौता अयोध्या में एक और विभाजन को जन्म नही देगा?

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उन्होंने कहा कि सम्पूर्ण अयोध्या श्रीराम की है और जहां भगवान का प्रकटीकरण हुआ वही रामलला की जन्मभूमि है। अदालत में संपत्ति का मामला विचाराधीन था। साक्ष्य और वर्तमान स्थिति सब रामलला के पक्ष में हैं फिर भी न्यायायिक विलंब? 67 वर्ष के इस काल खंड मे ना जाने कितने गवाह और ना जाने कितने पक्ष-विपक्ष के लोग कालकलवित हो गये और फैसला तो दूर जहां से चले वहीं आकर पुनः खड़े हो गये ?

अयोध्या समाधान चाहती है, विवाद नहीं.

उन्होंने कहा कि इस देश में सरकारें आईं और गईं और अनेक समाधान का प्रयास किया गया परंतु तुष्टीकरण के कारण वह सफल नहीं हुये। जब 2010 में उच्च न्यायालय ने साक्ष्यों के आधार पर निर्णय दिया भी तो उसने संमपति के स्वामित्व की जगह विभाजन कर दिया। हिन्दुओं ने स्वामित्व की अपील की थी ना की संपति के बंटवारे की। उन्होंने कहा कि आज पुनः उसी स्थान पर वापसी अब उचित नहीं है।

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