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विश्व फोटोग्राफी दिवस : ये हैं कैमरा का इतिहास

आज विश्व फोटोग्राफी दिवस हैं . जाने इसे बनाने के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ी थी  . 

जोहन जॉन ने 1685 में सबसे पहले कैमरा का डिजाइन बनाया था। फ्रांस के इंजीनियर जोसेफ नाइसफोन निप्से ने कैमरे की मदद से साल 1816 में पहली फोटोग्राफ निकाली थी। निप्से ने खुद के बनाए गए कैमरे का इस्तेमाल करते हुए सिल्वर क्लोराइड की कोटिंग वाले एक पेपर पर पहली फोटोग्राफ निकाली थी। निप्से की मौत के बाद उनके पार्टनर लुईस डैगुरे ने अपना प्रयोग जारी रखा और पहला फोटोग्राफिक प्रोसेस बनाया। इसे उन्होंने डैगुरियोटाइप नाम दिया था। साल 1840 में हैनरी फॉक्स ने कैलोटाइप नाम की एक नई पद्धति विकसित की, जिससे एक ही फोटो की कई कॉपी बनाई जा सकती थीं। ये कैमरे आकार में काफी बड़े होते थे और इनसे फोटो बनाने में भी काफी टाइम लगता था।

-गौरतलब है कि करीब एक हजार साल पहले इराकी वैज्ञानिक इब्न-अल-हैथम ने अपनी एक किताब में कैमरे जैसी ही किसी डिवाइस का जिक्र किया था। लेकिन न तो उनके बाद किसी ने उस डिवाइस को देखा और न ही उस डिवाइस से बनाई गई कोई फोटो किसी ने देखी। इसलिए उनको कैमरे का आविष्कारक नहीं माना जाता है।

ड्राइ प्लेट्स:साल 1855 में कैमरे में पहली बार ड्राइ प्लेट्स का इस्तेमाल हुआ। 1874 में रिचर्ड लीच मैडोक्स ने कैमरे को इस तरह डिजाइन किया ताकि उसे हाथ में लेने में सुविधा हो। इसके साथ ही डिटेक्टिव कैमरा जैसे पॉकेट वॉच, हैट आदि में लगाए जाने वाले कैमरों का भी आविष्कार होने लगा।

फिल्म वाला पहला कैमरा: जॉर्ज ईस्टमैन ने पहली बार कैमरे में पेपर फिल्म का यूज किया। अपने उस पहले कैमरे को उन्होंने ‘कॉडेक’ नाम दिया। यह कैमरा 1888 में मार्केट में आया। यह बॉक्स कैमरा था और फिक्स्ड फोकस्ड लेंस के साथ इसमें सिंगल शटर स्पीड दी गई थी। इसका इस्तेमाल करके 100 पिक्चर्स तक लिए जा सकते थे और फिल्म खत्म होने पर फिल्म को बदला भी जा सकता था। कैमरा में फिल्म के इस्तेमाल से ही बाद में मूवी कैमरे का आविष्कार हुआ।

टीएलआर और एसएलआर कैमरा: पहला रिफ्लैक्स कैमरा 1928 में टीएलआर के रूप में आया। यह काफी पॉपुलर हुआ। सन् 1933 में एसएलआर का डिजाइन बनना शुरू हुआ, जिसमें 127 रॉलफिल्म लगी हुई थीं। इसके 3 साल बाद 135 फिल्म्स वाला एक नया मॉडल मार्केट में आया।

पोलारॉइड कैमरा: 1948 में एक बिल्कुल ही नया कैमरा आया, जिसे पोलारॉइड कैमरा नाम दिया गया। इस कैमरे को एडविन लैंड ने बनाया था। पोलरॉइड वह कैमरा है, जिससे फोटो खींचने वाला व्यक्ति एक मिनट से भी कम समय में एक फोटो प्रिंट कर सकता था।

डिजिटल कैमरा:डिजिटल कैमरा पहले के सभी कैमरे से अलग थे। इनमें फिल्म्स का इस्तेमाल नहीं होता था। इनमें फोटो डिजिटल मेमोरी कार्ड में सेव होता था। बाद में इनमें ब्लूटूथ, वाईफाई आदि से फोटो शेयर की सुविधा भी मिलने लगी। इनकी लो कॉस्ट की वजह से इनका इस्तेमाल फोन में भी किया जाने लगा। पहला डिजिटल कैमरा कोडेक के इंजीनियर स्टीव सेसन ने दिसम्बर 1975 में बनाया था। साल 1991 में निकोन ने पहला डीएसएलआर कैमरा दुनिया के सामने पेश किया।

सैटेलाइट कैमरा:पृथ्वी और ब्रह्मांड की शोध करने के लिए कई विकसित देश स्पेस सैटेलाइट लॉन्च कर रहे हैं। इन सैटेलाइट्स में बहुत ज्यादा क्षमता वाले कैमरे लगाए जाते हैं। इन कैमरों की मदद से ये सैटेलाइट्स हजारों किलोमीटर दूरी पर स्थित किसी ऑब्जेक्ट की अच्छी तस्वीर ले सकते हैं। पृथ्वी की पहली सैटेलाइट तस्वीर यूएस के सैटेलाइट एक्सप्लोरर 6 द्वारा 14 अगस्त 1959 में ली गई थी। जबकि, चांद की पहली सैटेलाइट तस्वीर 6 अक्टूबर 1959 में सोवियत सैटेलाइट लूना 3 द्वारा ली गई थी।

कैमरा फोन: जून 2000 में सैमसंग ने पहली बार कैमरे वाला मोबाइल फोन लॉन्च किया। यह एक फ्लिप फोन था, जिसे एससीएच-वी200 मॉडल नंबर के साथ विश्व के सामने लाया गया था। इस फोन में 0.35 मेगापिक्सल का दिया गया था। इस फोन की सबसे बड़ी खामी यह थी कि फोन में फोटो खींचने के बाद उसका यूज़ करने के लिए फोन को कम्प्यूटर से कनेक्ट करना पड़ता था। इसके बाद सैमसंग की गलतियों से सीख लेते हुए जापानी कंपनी शॉर्प J-SH04 नाम का कैमरा फोन लॉन्च किया। इस फोन में फोटो खींच कर उसे देखा भी जा सकता था।

ड्रोन कैमरा:यह कैमरे की नई जेनरेशन है। यह साइज में काफी छोटा और बड़ा भी हो सकता है। यह उंचाई पर उड़कर वीडियो और फोटो बना सकता है। इसे रिमोट या कम्प्यूटर द्वारा ऑपरेटेड किया जा सकता है। ड्रोन कैमरे की मदद से ऐसी जगहों की फोटो भी ली जा सकती हैं, जहां पर जाकर फोटो लेना संभव नहीं होता।

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