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SC-ST एक्ट के विरोध में दलित संगठनों का आज भारत बंद

-एससी-एसटी एक्ट पर पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सकती है केंद्र सरकार
-शिक्षण संस्थान, यातायात सेवाएं बंद, सीबीएसई परीक्षाएं भी स्थगित

नई दिल्ली (ईएमएस)। एससी-एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के बाद विपक्ष की आलोचना का शिकार होने पर केंद्र सरकार सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सकती है। केंद्रीय कानून मंत्रालय ने एससी-एसटी एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने को मंजूरी दे दी है। दूसरी ओर, इस मुद्दे पर पूरे देश के दलित संगठन एकजुट हो गए हैं। उन्होंने सोमवार को भारत बंद का आह्वान किया है। दलित संगठनों के भारत बंद को देखते हुए प्रशासन ने बड़े पैमाने पर सुरक्षा प्रबंध किए हैं।

बंद को देखते हुए पंजाब में सभी शिक्षण संस्थान, ट्रांसपॉर्ट गतिविधियां बंद रखने का फैसला किया गया है। राज्य में आज होने वाली 10वीं और 12वीं के सीबीएसई परीक्षाएं भी स्थगित कर दी गई हैं। इस बीच बिहार के कई जिलों और ओडिशा के सम्बलपुर में प्रदर्शनकारियों ने ट्रेनों की गतिविधियां रोक दीं। एससी-एसटी एक्ट के खिलाफ भारत बंद का असर बिहार में भी दिखाई दे रहा है। आरा, अररिया, फारबिसगंज और जहानाबाद में प्रदर्शनकारियों को ट्रेनों का आवागमन ठप कर दिया। राज्य के अलग-अलग इलाकों में प्रदर्शनकारियों ने टायर जलाकर और सड़कों पर जाम लगाकर अपना गुस्सा दिखाया। सड़कों पर जाम और ट्रेन रोके जाने से आम लोगों को काफी परेशान होना पड़ा।

पंजाब के अमृतसर सहित अन्य जिलों में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। दलित संगठनों के बंद को देखते हुए पंजाब में बस और मोबाइल सेवाएं स्थगित कर दी गई हैं। सरकार ने सार्वजनिक यातायात को स्थगित रखने के साथ ही सभी शिक्षण संस्थानों को भी बंद रखने का आदेश दिया है। इसे देखते हुए सीबीएसई ने राज्य में कक्षा 10वीं और 12वीं की परीक्षा स्थगित कर दी है। बोर्ड ने कहा केंद्र शासित चंडीगढ़ और देश के अन्य हिस्सों में परीक्षाएं शेड्यूल के मुताबिक ही होंगी। पंजाब में परीक्षा की अगली तारीख जल्द ही घोषित की जाएगी। पंजाब सरकार ने राज्य में सुरक्षा के तगड़े इंतजाम किए हैं। ओडीशा के संबलपुर में भी एससी-एसटी प्रोटेक्शन एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के विरोध में प्रदर्शनकारियों ने ट्रेन संचालन बाधित किया।

उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष के अलावा एनडीए के दलित और पिछड़े वर्ग के जनप्रतिनिधियों ने भी मोदी सरकार से रिव्यू पिटीशन दाखिल करने की मांग की थी। इसके अलावा एनडीए में शामिल कुछ सहयोगी दलों ने भी इस पर नाखुशी जाहिर की थी। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की पुष्टि की है। प्रसाद ने ट्वीट कर कहा कि एससी-एसटी प्रटेक्शन एक्ट मामले में सरकार सोमवार को पुनर्विचार याचिका दाखिल कर सकती है। सरकारी सूत्रों ने बताया कि सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्रालय द्वारा दाखिल किए जाने वाली इस याचिका में तर्क दिया जा सकता है कि कोर्ट के फैसले से एससी और एसटी एक्ट-1989 के प्रावधान कमजोर हो जाएंगे। याचिका में सरकार यह भी तर्क दिया जा सकता है कि कोर्ट के मौजूदा आदेश से लोगों में कानून का भय खत्म होगा और इससे संबंधित कानूनों का अधिक उल्लंघन हो सकता है। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट के बेजा इस्तेमाल पर चिंता जताते हुए इसके तहत दर्ज मामलों में तत्काल गिरफ्तारी नहीं किए जाने का आदेश दिया था।

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज होने वाले मामलों में अग्रिम जमानत को भी मंजूरी दे दी गई थी। इसके बाद कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष मोदी सरकार के खिलाफ हमलावर हो गया था। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष सही तरीके से दलील पेश नहीं की। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा सरकार की लापरवाही के चलते कमजोर वर्ग की रक्षा का यह कानून करीब-करीब खत्म हो गया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को इस बारे में रिव्यू पिटिशन दाखिल करना चाहिए। अगर वह ऐसा नहीं करती तो इससे उसका दलितों को लेकर उसका पाखंड उजागर होगा। राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस के सांसदों ने इस मुद्दे पर संसद भवन परिसर में गांधी प्रतिमा के समक्ष धरना भी दिया था। उधर, दलित संगठनों का भारत बंद को देखते हुए पंजाब में कल सभी शिक्षण संस्थान, पब्लिक ट्रांसपॉर्ट और इंटरनेटएं बंद करने का फैसला किया है।

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