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कई मायनों में ऐतिहासिक होगा मॉरीशस का 11वां विश्व हिन्दी सम्मेलन: सुषमा स्वराज

नई दिल्ली, 10 अगस्त (हि.स.)। मॉरीशस में होने वाला 11वां विश्व हिन्दी सम्मेलन पहले हुए 10 संस्करणों से अलग होगा। इस बार ऐसी कई बातें होंगी, जो विश्व हिन्दी सम्मेलन के पिछले 10 संस्करणों में नहीं हुईं। इतना ही नहीं इस बार का विश्व हिन्दी सम्मेलन हिन्दी भाषा की विकास यात्रा में मील का पत्थर साबित होगा। ये बात विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने शुक्रवार को दिल्ली में आयोजित एक विशेष प्रेस वार्ता के दौरान कही। स्वराज शुक्रवार को मीडिया से मिलीं और इस बार मॉरीशस में आयोजित होने वाले 11वें विश्व हिन्दी सम्मेलन को लेकर विस्तार से बात की। 

अपने पक्ष में तर्क देते हुए विदेश मंत्री ने बताया कि पहली बार विश्व हिन्दी सम्मेलन में भारत सरकार का एक बड़ा प्रतिनिधिमंडल हिस्सा लेगा। ये पहली बार होगा जब सरकारी प्रतिनिधिमंडल में बड़ी संख्या में विदेशी या एनआरआई हिन्दी प्रेमी होंगे। 377 सदस्यीय इस प्रतिनिधिमंडल में 47 हिन्दी प्रेमी विदेशी-एनआरआई शामिल हैं। इसी तरह पहली बार विश्व हिन्दी सम्मेलन में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का प्रतिनिधित्व होगा। इसके लिए विदेश मंत्रालय ने हर राज्य के मुख्यमंत्री से उनके राज्य के हिन्दी से जुड़े दो प्रतिनिधियों के नाम मांगे थे, जिसके जवाब में देश के सभी 29 राज्यों और तीन केंद्रशासित प्रदेशों की सम्मेलन में हिस्सेदारी होगी। इसी तरह मॉरीशस में हाल में नए भवन में आए ‘विश्व हिन्दी सचिवालय’ का ये पहला हिन्दी सम्मेलन होगा। इस बार 1422 हिन्दी प्रेमियों ने खुद इस 11वें विश्व हिन्दी सम्मेलन के लिए पंजीकरण करवाया है, जो अपने आप में एक रिकार्ड है। 

सुषमा ने बताया कि पहली बार ऐसा होगा कि पूर्ववर्ती हिन्दी सम्मेलनों में हिन्दी भाषा के विकास को लेकर की गई अनुशंसाओं पर काम किया गया है। इस सम्मेलन के दौरान साल 2015 में भोपाल में हुए 10वें विश्व हिन्दी सम्मेलन के दौरान की गई अनुशंसाओं पर हुई तमाम कार्रवाईयों को एक पुस्तक की शक्ल में रिलीज किया जाएगा। इसे ‘भोपाल से मॉरीशस’ नाम दिया गया है, और इस पर हिन्दी सम्मेलन के उद्घाटन सत्र के तुरंत बाद एक पूर्ण सत्र होगा। इसी तरह पहली बार विश्व हिन्दी सम्मेलन में केवल हिन्दी भाषा नहीं, बल्कि हिन्दी भाषा और उससे जुड़ी संस्कृति पर बात होगी। इस 11वें विश्व हिन्दी सम्मेलन की थीम – ‘विश्व हिन्दी और भारतीय संस्कृति’ रखी गई है। साथ ही इस बार के विश्व हिन्दी सम्मेलन में 8 उप-विषय भी रखे गए हैं। इतना ही नहीं आयोजन स्थल पर बने सभागारों के नाम भी हिन्दी साहित्यकारों के नाम पर रखे गए हैं। आयोजन स्थल का नाम गोस्वामी तुलसीदास नगर रखा गया है, वहीं सभागारों के नाम गोपाल दास ‘नीरज’ और हिन्दी के मॉरीशस में सबसे बड़े नाम, अभिमन्यु अनंत के नाम पर रखा गया है। 

विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने बताया कि 18 अगस्त से शुरू होने वाले 11वें विश्व हिन्दी सम्मेलन का उद्घाटन मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रवीण कुमार जगन्नाथ करेंगे और गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी विशेष अतिथि होंगे। इसी तरह 20 अगस्त को होने वाले समापन सत्र में मॉरीशस के राष्ट्रपति के अलावा पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केसरीनाथ त्रिपाठी भी होंगे। मॉरीशस में होने वाले इस 11वें विश्व हिन्दी सम्मेलन में मॉरीशस सरकार सह-आयोजक की भूमिका में है। 

11वां विश्व हिन्दी सम्मेलन 18 से 20 अगस्त तक मॉरीशस में हो रहा है। ये तीसरा मौका है, जब मॉरीशस में विश्व हिन्दी सम्मेलन का आयोजन हो रहा है। इससे पहले साल 1976 और 1993 में मॉरीशस में इसका आयोजन हुआ था। इसके अलावा तीन बार, साल 1975, 1983 और 2015 में भारत में हुआ है। पांच बार ये अलग-अलग देशों यूएस, यूके, दक्षिण अफ्रीका, त्रिनित्राद-टोबैगो, सूरीनाम में आयोजित किये गए। विश्व हिन्दी सम्मेलन की शुरुआत 1975 में नागपुर से हुई थी। उसके बाद से हर तीन साल में विश्व हिन्दी सम्मेलन का आयोजन होता है। 

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