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कवीन्द्र केशवदास ने ही सिखाया था हिन्दी जगत को काव्यानुशासन : कैलाश मड़बैया’

भोपाल (ईएमएस)। रामनवमी पर राजधानी में मध्ययुगीन रीत कालीन कवि केषव जयन्ती का आयोजन वृहद स्तर पर अवधपुरी में अखिल भारतीय बुन्देलखण्ड साहित्य एवं संस्कृति परिषद के तत्वावधान में को सम्पन्न हुआ। विषय प्रवर्तन करते हुये वरिष्ठ साहित्यकार कैलाश मड़बैया ने कहा कि ओरछा के कवि केशवदास हिन्दी के प्रथम आचार्य कवि थे जिन्होंने साहित्य में काव्यानुशासन के लिये ‘कवि प्रिया’ की रचना की थी।

यह केशवदास ही थे जिन्होंने तुलसीदास की रामचरितमानस के काल में ही 39 सर्गों की राम चन्द्रिका एक ही रात्रि में रचकर नया कीर्तिमान गढ़ दिया था। प्रो. डॉ. राधावल्लभ शर्मा ने कहा कि केशवदास के हिन्दी साहित्य के अवदान को विस्मृत नही किया जा सकता। डॉ. के.एल. वर्मा बिन्दु ने केशव के इतिहास पर प्रकाश डाला। अनेक हिन्दी साहित्यकारों ने रामनवमी और केशव के सम्बन्धों पर वक्तव्य दिये। दूसरे चरण में काव्य गोष्ठी सम्पन्न हुई जिसमें गीतकार पुष्पलता शर्मा, प्रेम सक्सेना, माणिक भारती, पुष्कर सक्सेना, कन्हैयालाल वर्मा बिन्दु, मधुसूदन बागड़े, प्रकाश बजिनानी, रामबचन भारती बी.एन. दीवान आदि लगभग दो दर्जन कवियों ने अपनी रोचक कविताओं का पाठ किया। संचालन मुख्य अतिथि कैलाश मड़बैया ने करते हुये अपनी सुप्रसिद्ध कविता फागुन आया का पाठ कर श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया। आभार मधुसूदन बागड़े द्वारा ज्ञापित किया गया।

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